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शादी के पहले लड़कियां बहुत सारे ख़्वाब देखती हैं। वह अपने जीवन में कुछ ऐसा करना चाहती हैं जिससे उनकी एक अलग पहचान बन सके तथा वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके। परंतु अक्सर देखा जाता है एक लड़की शादी के बाद घर-परिवार और बच्चे को संभालते-संभालते अपनी पूरी जिंदगी गुजार देती है.

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और अपने सपने भुला देती है। लेकिन कुछ ऐसी भी महिलायें हैं जो अपनी शादी के बाद भी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ सपने को पूरा कर रही हैं तथा समाज में अन्य लड़कियों के लिये भी नये-नये मिसाल कायम कर रही हैं।

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आज की कहनी भी एक ऐसी लड़की की है जिसने अपने ढाई वर्ष के बच्चे और परिवार से दूर रहकर UPSC की तैयारी की और 90वां रैंक हासिल कर पहले ही प्रयास में सफलता के शिखर को छु दिया। वह यह साबित करती है कि यदि मन में मंजिल को पाने की दृढ इच्छा-शक्ति हो तो दुनिया की कोई भी कठिनाई राह का रोड़ा नहीं बन सकती है.

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अनुपमा सिंह (Anupama Singh) पटना (Patna) की रहनेवाली हैं। अनुपमा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना से ही पूरी की है। अनुपमा के पिता एक रिटायर्ड एमआर है तथा उनकी माता एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है। वह बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में बेहद होशियार थी। वह 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद एमबीबीएस का प्रवेश परीक्षा.

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और उसमे वह सफल हुई। इसके अलावा अनुपमा ने सबसे कठिन मानी जाने वाली MS की प्रवेश परीक्षा दिया और उसमे भी सफलता हासिल किया। उन्होंने वर्ष 2014 मे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से मास्टर ऑफ़ सर्जरी (MS) की उपाधि हासिल की।

उनके मन में विचार आया कि स्वास्थ्य प्रणाली में बदलाव की बहुत जरुरत है। वह एक डॉक्टर के तौर पर मरीजों का इलाज तो कर रही थी परंतु सिस्टम में मौजुद बहुत सारी समस्याओं पर कार्य नहीं कर पा रही थी। उन्होंने महसूस किया कि जब तक ये सभी समस्याएं खत्म नहीं होगी तो सिर्फ मरीजों के इलाज से उनका भला नहीं हो सकता है। इसी विचार के साथ उन्होंने सिविल सर्विस की ओर रुख किया।

इसलिए वह एक वर्ष का समय लेकर पढ़ाई के लिए दिल्ली चली गई। वहां उन्होंने यूपीएससी (UPSC) की तैयारी करने के लिए कोचिंग संस्थान में दाखिला ले लिया। उन्होंने अपने एक वर्ष के समय में अपने आप को पूरी तरह से पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया। अनुपमा ने अपने बच्चे से दूर रह कर पढ़ाई करने का फैसला तो ले लिया परंतु अपने बच्चे से दूर रहना बहुत कठिन होता है। 

तैयारी के दौरान कई बार अनुपमा के मन में यह ख्याल आता था कि वह सब कुछ छोड़कर अपने बच्चे के पास वापस चली जाए। तब वह अपने आप को समझाती थी कि घर वापस जाने के लिए उन्हें जल्द ही लक्ष्य को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

अनुपमा ने बताया कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान उन्हें काफी सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। वह साइंस की स्टूडेंट थी और आर्ट्स का विषय उन्हें समझ में नहीं आता था। सहायता करने के लिए उन्होंने कोचिंग संस्था में नामांकन कराया। फिर बाद में उन्हें यह समझ में आ गया कि कोचिंग संस्थान सिर्फ आप को गाइड कर सकते हैं। उस राह पर चल नहीं सकता, चलना सिर्फ आपको ही है। बिना स्वअध्ययन सफलता हासिल करना बहुत कठिन है। सफलता हासिल करने के लिए अपना 100% देना पड़ता है।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...