सीपीएम के वरिष्ठ नेता सुनीत चोपड़ा ने कहा है कि विधानसभा चुनावों में केरल में लेफ्ट की दोबारा जीत और बंगाल में बीजेपी की हार कम्युनिस्ट प्लान था और वामपंथी पार्टियां इसमें सफल होती दिख रही हैं। समाचार चैनलों पर चुनावी रुझानों पर प्रतिक्रिया देते हुए वामपंथी नेता सुनीत चोपड़ा बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन के सूपड़ा साफ होने से बेफिक्र और ममता बनर्जी की जीत या बीजेपी की हार से ज्यादा खुश नजर आ रहे थे।

केरल में दोपहर 12 बजे तक के रुझानों के मुताबिक सीपीएम के नेतृत्व वाला एलडीएफ 91, कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ 46 और बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए 3 सीटों पर आगे चल रहा है। केरल में 40 साल बाद किसी पार्टी या गठबंधन की सरकार बिना हारे दूसरी बार चुनाव जीतती दिख रही है।

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पश्चिम बंगाल में फिलहाल ममता बनर्जी की टीएमसी 200 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रही है जबकि बीजेपी 83 सीटों पर आगे है। कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन मात्र एक सीट पर आगे है जबकि दो सीट पर निर्दलीय आगे हैं।

समाचार चैनलों पर सुनीत चोपड़ा के अलावा सीपीआई के नेता अतुल कुमार अंजान भी केरल में लेफ्ट की जीत से ज्यादा बंगाल में बीजेपी की हार की संभावना से संतुष्ट नजर दिखे। सुनीत चोपड़ा से जब पत्रकारों ने कहा कि आप बंगाल में अपनी पार्टी के बारे में क्यों नहीं बात करते जहां आप दस साल पहले सरकार चला रहे थे.

और अब कांग्रेस से गठबंधन करके भी डबल डिजिट में जाते नहीं दिख रहे हैं तो सुनीत चोपड़ा ने कहा कि हमारी साफ सोच थी कि केरल जीतना है और बंगाल में बीजेपी को हराना है। हमने ये दोनों काम सफलता से किया है।

चुनाव रुझानों में लेफ्ट-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन के मात्र एक सीट पर आगे चलने के संदर्भ में लेफ्ट नेताओं के बयान को देखा जाए तो ऐसा लगता है कि बंगाल में बीजेपी को रोकने के लिए लेफ्ट-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन ने अपने वोट रणनीतिक तौर पर ममता बनर्जी की टीएमसी को ट्रांसफर कराए.

जिससे तृणमूल कांग्रेस 200 सीट से ज्यादा पर आगे चल रही है। लेकिन इस रणनीति से बंगाल की चुनावी राजनीति में लेफ्ट और कांग्रेस का नामलेवा तक गायब होने का खतरा पैदा हो गया है। राज्य की राजनीति आगे भी टीएमसी और बीजेपी के बीच खेली जाएगी, इतना तो इस खेल से साफ दिख रहा है।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...