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अक्सर देखा जाता है कि लोग अपनी क़िस्मत का रोना लेकर बैठे रहते हैं, जब भी वे अपने जीवन में सफल नहीं हो पाते हैं तो क़िस्मत को कोसते रहते हैं। जबकि ऐसे भी कई उदाहरण हमें देखने को मिलते हैं जिसमें लोगों ने अपनी क़िस्मत ख़ुद बदली है।

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आज हम आपको ऐसे इंसान के बारे में बता रहे हैं जिसके जीवन में क़िस्मत ने अँधेरा भर दिया था लेकिन उसने ख़ुद अपने बलबूते पर अपनी क़िस्मत बदल कर अपने जीवन को रोशनी से सराबोर कर लिया। वह इंसान हैं IAS के.ललित (IAS K. Lalit), जिन्होंने फिजिकल डिसेबिलिटी होने के बावजूद IAS बनने के सफ़र को पूरी मेहनत और लगन से तय किया।

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दरअसल इनकी दृष्टि बचपन से ही कमजोर थी और फिर जब वह आठवीं कक्षा में आए तब तक इनकी आंखों की रोशनी चली गयी, जिससे यह एग्जाम में अपने पेपर भी लिख नहीं पाते थे। परंतु फिर भी इन्होंने आईएएस बनकर सभी का सर गर्व से ऊंचा कर दिया।

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ललित भी एक साधारण बच्चे की तरह ही जन्मे थे परंतु जब वे कक्षा 1 में आए तब से उनमें आंखों की समस्या जन्म लेने लगी। उन्हें कुछ कम दिखाई देता था तो डॉक्टर को चेकअप कराया गया। डॉक्टर ने बताया कि यह एक ऐसी मेडिकल कंडीशन होती है जिसमें आंखों की रोशनी धीरे-धीरे करके चली जाती है।

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इतना ही नहीं उनके माता-पिता ने उन्हें साधारण बच्चों के स्कूल में ही पढ़ाई करवाई। उनका एडमिशन का भी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के विद्यालय में नहीं करवाया। जबकि इसके लिए उन्हें काफ़ी दिक्कतें भी आती भी बहुत से स्कूल तो उनकी विशेष आवश्यकताओं को देखते हुए उन्हें स्कूल में प्रवेश देने से ही मना कर देते थे। ललित के पिताजी रेलवे में सरकारी कर्मचारी थे अतः उनका बार-बार ट्रांसफर होता रहता था।

ललित ने जब पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी तो उसमें सफल नहीं हो पाए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपना प्रयास जारी रखते वह फिर से परीक्षा दी। इस बार पहले से ज़्यादा मेहनत करके वह सफल हुए। वर्ष 2018 में इन्होंने पीएच श्रेणी में यूपीएससी परीक्षा पास उत्तीर्ण कर ली तथा वर्ष 2019 बैच के IAS बने।

ललित कहते हैं कि उनके माता-पिता और मित्रो ने उनका बहुत साथ दिया। एक-दो बार उनके दोस्त भी उनके स्क्राइब बने इसलिए वे उनका भी बहुत धन्यवाद करते हैं। वह सभी युवाओं को संदेश देते हैं कि अगर आपने अपने जीवन में कोई लक्ष्य प्राप्त करने का निश्चय कर लिया है और उसके लिए पूरी लगन और मेहनत से कोशिश कर रहे हैं तो फिजिकल डिसेबिलिटी आपके आड़े नहीं आ सकती है।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...