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छोटी सी किसानी से भी खुशहाली आ सकती है, इसका सबसे बड़ा प्रमाण बिहार की किसान चाची राजकुमारी देवी हैं, जो नारी शक्ति की भी एक मिसाल है। हालांकि इसके पीछे उनका त्याग है। पूसा कृषि विश्वविद्यालय से खाद्य प्रसंस्करण की तरकीब सीखने के बाद अचार और मुरब्बे के काम को आगे बढ़ाया। महज डेढ़ सौ रुपये से शुरू किया उनका काम आज कारोबार बन गया है, जिससे कई महिलाएं और युवतियां जुड़ी हुई हैं। प्रोडक्ट विदेशों तक जाते हैं। जिनकी तारीफ पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर अभिताभ बच्चन तक करते हैं। उन्हें कृषि के क्षेत्र में राष्ट्रपति से पद्मश्री का पुरस्कार भी मिल चुका है।

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राजकुमारी देवी बताती हैं कि पति अवधेश कुमार चौधरी बेरोजगार थे। 9 साल तक संतान नहीं हुई तो ससुराल में ताने सहे। 1983 में बेटी पैदा हुई, तब भी ताने ही मिले और परिवार से अलग कर दी गई। उनके हिस्से में उनके हिस्से ढाई बीघा जमीन आई। लेकिन, खेती करने के लिए पैसे नहीं थे।

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राजकुमारी देवी बताती हैं कि परिवार में तंबाकू की खेती की परंपरा थी। लेकिन, उन्होंने घर के पीछे की जमीन में फल और सब्जी उगाने के साथ फलों और सब्जियों से अचार-मुरब्बा सहित कई उत्पाद बनाना शुरू किया।

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राजकुमारी देवी साइकिल से घूम-घूमकर आचार बेचने लगीं तो गांव वालों ने उन्हें अपने समाज से बहिष्कृत कर दिया। लेकिन, वह हार न मानी और दूसरे गांवों की महिलाओं को भी खेती सिखाई। इससे उन्हें सम्मान और प्रसिद्धि मिलने लगी। उनके काम की सराहना देशभर में होने लगी।

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बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी राजकुमारी की बागवानी को देखने उनके घर गए। कई मेलों और समारोहों में वे सम्मानित हुईं। राज्य सरकार ने 2006 में उन्हें किसानश्री सम्मान दिया। तब से लोग उन्हें किसान चाची कहने लगे।

किसान चाची की बेटी प्रीति भी स्नातक करने के बाद खेती में उनका हाथ बंटा रही है। मां-बेटी दुधारू पशु रखकर दूध का व्यवसाय भी कर रही हैं। 2019 में पूरे बिहार में कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने की वजह से राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने पद्मश्री से किसान चाची को सम्मानित किया था।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...