लोग माता-पिता के बाद शिक्षक और डॉक्टर को भगवान् का दर्ज़ा देते है हमारे देश में जब कोई शिक्षक अपने शिष्य को पढ़ते है और उनका शिष्य जब एक दिन बड़ा आदमी बनता है अच्छा इंसान के साथ अच्छा नौकरी लगता है तो शिष्य से अधिक ख़ुशी उसके माता-पिता और गुरु होता है और अपने आप पर गौरवान्वित महसूस करता है.

आज के इस खबर में हम एक ऐसे ही शिक्षक और शिष्य के बारे में बात कर रहे है जिन्होंने अपने संस्कार का परिचय देते हुए जब पुलिस अधिकारी बना तो अपने बचपन के टीचर से मिलने गाँव के स्कूल गया. और अपने शिक्षि को पैर छुया शिक्षक का तो दिल भा गया और आँखों से ख़ुशी की आंसू छलकने लगी.

शिक्षिका ने अपने पुराने स्टूडेंट को आशीर्वाद स्वरूप ११०० रूपये दिए और टीचर ने अपने नए स्टूडेंट्स से मिलवाये और सभी छोटे बच्चे को बताया भी की इसने न सिर्फ देश का नाम रोशन किया, बल्कि समाज और अपने माता-पिता का भी नाम रोशन किया |

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...