दोस्तों गाँव में एक कहावत है की संगत से रंगत बदल जाती है कुछ ऐसे ही कहानी है झारखण्ड के रहने वाले ऋषि आनंद की जी हाँ दोस्तों जब छोटे भाई ने पास की यूपीएससी की परीक्षा और बने आईएस तो बड़े भाई ने भी उसकी प्रेरणा से शुरू कर दी तैयारी लेकिन पहला चार बार मिली असफलता.

लेकिन उसके बाद भी नहीं माने हार और पांचवीं बार में हाथ लगी सफलता दोस्तों कहानी है दो भाइयों की छोटे भाई रवि आनंद एवं बड़े भाई ऋषि आनंद की जब छोटे भाई रवि आनंद को पहले प्रयास में हाथ लगी सफलता तो बड़े भाई ऋषि आनंद ने भी शुरू किया तैयारी और पांचवी बार में किया पास.

दोस्तों ये दोनों भाई बेहद साधारण परिवार से आते है लेकिन कहते है न की अगर आपके अन्दर कुछ करने की क्षमता है तो मुसीबतें भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी. ऐसा ही कुछ दोनों भाई के साथ हुआ और दोनों भाई से आज के युवाओं को सिख लेनी चाहिए.
