हमारे देश में माता-पिता के बाद सबसे सर्व श्रेष्ठ स्थान गुरु को दिया गया है. क्यूंकि ऐसा माना गया है की जो बच्चे को शिक्षित करते है सही मार्गदर्शन करते हैं उनका स्थान सबसे ऊपर है. ये आज से नहीं ये परम्परा बहुत दिनों से चला आ रहा है.और किसी को शिक्षित करना ये महान कामों में से एक काम है.

आज आपको हम एक ऐसे शिक्षक के बारे में बतायेंगे जिसे सुन आप भी रो पड़ेंगे और आप भी कहेंगे की आज भी इंसानियत जिन्दा है. दोस्तों एक शिक्षक पुरे जिंदगी दूध बेचकर रिक्सा चलाकर हेडमास्टर बना और जब समय आया रितायार्मेंट का तो रितायरी में मिले 40 लाख रुपया गरीब बच्चो में बाँट दिया.

जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे है विजय कुमार के बारे में विजय कुमार का जन्म बेहद ही साधारण परिवार में हुआ और उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया. उन्होंने अपने जीवन में रिक्सा भी चलाया अपना भरण-पोषण करने के लिए दूध भी बेचे तब जाकर उन्हें शिक्षक की नौकरी लगी.

और पूरी जीवन की कमाई उन्होंने गरीब बच्चो में अपने रिटायर्मेंट में बाँट दिया. आपको बता दूँ की विजय कुमार जी चंसोरिया जिले के संकुल केंद्र रक्सोहा प्राथमिक विद्यालय के सहायक शिक्षक थे. जिन्हें रितायरी में कुल 40 लाख रुपया मिली थी उस पैसे को उन्होंने गरीब बच्चो में बाँट दिया.

जब इनसे पूछा गया की आपने अपने रितायरी के कुल चालीस लाख रुपया गरीब बच्चो में क्यूँ बाँट दिया तो इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा की गरीबी क्या होती है इसको मैंने बहुत करीब से देखा है और मैं जानता हूँ पैसे के अभाव में क्या तकलीफे सहनी होती है. और आखिरी में कहा की गरीब बच्चे पैसे के आभाव में अनपढ़ न बन सके इसीलिए मैंने अपने पूरी जीवन की कमाई गरीब बच्चो में बाँट दिया.
