घर के बुरे हालातों और आर्थिक समस्या से लड़ कर कुछ अभ्यर्थी यहां तक पहुंचते हैं लेकिन उनमें से गिने चुने ही ऐसे होते हैं जो अधिकारी बन पाते हैं. ऐसा कहा जाता है कीं अगर इंसान ठान ले तो वो दुनिया में कुछ भी कर गुजर सकता है | के. जयगणेश की पारिवारिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी और इस वजह से उन्होंने कभी वेटर की नौकरी की थी। लेकिन अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर उन्होंने 156वीं रैंक हासिल कर IAS बनने का सपना पूरा कर लिया।

और उन्होंने कभी भी शरमाया भी नहीं कि हम एक होटल के नौकर है और हम पढ़ाई करें और उसे लोग बहुत चिढ़ाते भी थे कि तुम आईएस बनेगा लेकिन वह सब बातों को ध्यान में रखकर अपनी पढ़ाई जारी रखा और 1 दिन सफलता हाथ लगी |

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कहते हैं कि लगातार परिश्रम से सफलता जरूर हासिल होती है। इस बात IAS अधिकारी के. जयगणेश पर बिल्कुल सटीक बैठती है। तमाम विपरीत परिस्थितियों और छह बार सिविल सर्विस की परीक्षा में फेल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपने को सच कर दिखाया। के. जयगणेश की पारिवारिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। इस वजह से कभी उन्हें वेटर की नौकरी भी करनी पड़ी थी। लेकिन अपनी मेहनत और

काबिलियत के दम पर उन्होंने सिविल सेवा में 156वीं रैंक हासिल कर IAS बनने का सपना पूरा कर लिया। और उनके परिवार के लोगों ने बहुत मदद की और उनके परिवार की भी अच्छी नहीं इसी के कानून को होटल में नौकर वाला काम करना पड़ा और प्लेट धोना पड़ा लोग उनको तानाभी मारते थे कि या नौकर आईएस बनेगा |

पढ़ाई पूरी होने के बाद उनकी एक कंपनी में नौकरी भी लग गई, जहां उन्हें 2500 रुपये महीने तनख्वाह मिलती थी। जयगणेश को अपनी नौकरी को लेकर ऐसा लगने लगा था कि 2500 रुपए में उनका घर नहीं चलेगा और उन्होंने नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की पढ़ाई शुरू कर दी।

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