बिहार में छठ पूजा का लोगों के द्वारा बहुत जोर शोर से तैयारिया चल रही है | बिहार में अनेको जगह से छठ पूजा पर लोग अपने-अपने घर आ गए है | बिहार के इस पर्व को सबसे बड़ा पर्व माना जाता है | इस पर्व लोग न तो धर्म के हिशाब से मानते है नहीं जात के इसका सीधा उदहारण पटना के सडको पर छठ पूजा के लिए मिट्टी के चुल्ही बना रही मुस्लिम महिलाओ को देखकर आप अंदाजा लगा सकते है की ये छठ पर्व कितना आस्था से जुड़ा हुआ है | मुस्लिम महिलाएं छठी मइया के प्रति आस्था रख चूल्हे का निर्माण करने में जुट जाती हैं।
चाहे मुस्लिम महिला हो या हिन्दू सभी महिलाये चूल्हे बनाने के साथ समाज में सौहार्द का संदेश देती हैं। सौहार्द के चूल्हे पर आस्था का प्रसाद बनेगा। सूर्य की उपासना का महापर्व छठ सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता है। छठ व्रती जिस कच्चे चूल्हे पर महापर्व छठ का प्रसाद बनाती हैं इसका निर्माण वर्षों से मुस्लिम महिलाएं करती आ रही हैं। और लोग उनसे कुछ पैसे देकर खरीद कर अपने घर ले जाते है |
नेम-तेम का रखा जाता है ध्यान :
बिहार के राजधानी पटना के सड़क किनारे छठ पूजा के लिए मिट्टी का चूल्हा बना रही मुस्लिम महिला का मानना है की छठी मइया को लेकर बीते कई वर्षों से मिट्टी के चूल्हे बनाती रही हैं। इसे बनाने को लेकर काफी शुद्धता और नियमों का पालन करती हूं।चूल्हे बनाने के दिन से हमलोग करीब एक महिना पहले से ही छठ पूजा को लेकर अपनी नेम-तेम का ध्यान बहुत ही सुचारू रूप से रखती हू | जब तक छठ पूजा के लिए चूल्हा न बने तब तक मांस हो चाहे मछली हो किसी भी चीज का सेवन नही करती हू | छठ पूजा खत्म होने के बाद ही हम लोग मांस मछली खाते है |