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यूपीएससी की परीक्षा को अपने आप में सबसे कठिन और कड़ा एग्जाम माना जाता है | असंभव की भी एक न एक दिन शुरुआत करनी ही पड़ती है | और जब उसे सफलता मिलती है तो वही शख्स आने वाले पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शन का कारण बनते हैं | जो भी IAS बनते है वो  लोगों के लिए मिसाल बन जाते हैं | गरीबी को अपने रास्ते में नहीं आने देते वो लोग कुछ भी कर सकते है जी हाँ दोस्तों, उत्साह और कठोर परिश्रम के द्वारा किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। हम इसी तरह का उदहारण पेश कर रहे है | जिसे लोग कॉलेज के समय में इंग्लिश में थोडा कमजोर होने के कारण उसका मजाक बनाते थे | आज उसी ने जो कर दिखाया वह अपने आप में एक मिसाल है |

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छोड़ी दी। अपने 3 साल के बच्चे से वो दूर रहीं। लेकिन उनका यह त्याग व्यर्थ नहीं गया और आखिकार उन्होंने एक आईएएस अफसर बन कर ही दम लिया। पटना के कंकड़बाग में जन्मीं और पली-बढ़ी अनुपमा सिंह ने अपनी दसवीं क्लास की पढ़ाई माउंट कारमेल हाई स्कूल से साल 2002 में पूरी की। जब अनुपमा सिंह छोटी थीं तब से ही वो लोगों की सेवा करने का विचार रखती थीं।

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बड़ा होने के बाद उन्होंने एक चिकित्सक बनने औऱ मरीजों का इलाज करने का फैसला किया। साल 2011 में उन्होंने Patna Medical and College Hospital की प्रवेश परीक्षा पास कर ली। उन्होंने gynecology में ग्रेजुएशन किया और साल 2014 में उन्होंने Masters in Surgery (MS) बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से किया। एक सरकारी अस्पताल में अनुपमा सिंह नौकरी कर रही थीं औऱ उस वक्त उनकी शादी डॉक्टर रवींद्र कुमार से हुई थी। जल्दी ही अनुपमा सिंह ने एक बच्चे को भी जन्म दिया। मां-बाप ने बच्चे का नाम अनय रखा।

तीन साल तक अस्पताल में काम करने के बाद अनुपमा सिंह को ऐसा लगने लगा कि सरकारी अस्पतालों की स्थिति ठीक नहीं है और स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़े पैमाने पर बदलाव की जरुरत है। वो स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना चाहती थीं और सिस्टम में सुधार लाने के लिए उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा में बैठने का फैसला किया।

यूपीएससी की बेहतर तैयारी करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वो अपने मासूम बेटे को छोड़ कर दिल्ली चली गईं। साल 2018 में दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने यहां एक कोचिंग सेंटर में एडमिशन लिया। अनुपमा ने UPSC सिविल सेवा 2019 की परीक्षा में 90वीं रैंक हासिल की।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...