पिता को हस्ताक्षर के लिए सोचना पड़ता था, बेटी ने संकल्प लिया और आज खुद बन गई कलक्टर
इस बात से सभी भलि-भांति अवगत होंगे कि सरकारी दफ्तरों में किसी कागजात बनाने और हस्ताक्षर करवाने हेतु कितनी भाग दौड़ करनी पड़ती है। अफसर हों या उनके कर्मी सभी अपनी बादशाहत से लोगों को चक्कर कटवाते रहते हैं। कई बार तो लोगों को बार-बार ऑफिस के चक्कर काटने के साथ कुछ पैसे भी देने …
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