राष्ट्रपति और उनकी पत्नी सविता कोविंद ने रविवार को कानपुर के परौंख में अपने घर पर परिवार के साथ 25 मिनट बिल्कुल सामान्य जीवन की तरह बिताए। भतीजियों के चाचा और नातिनों के नाना बनकर महामहिम ने परिजनों के साथ ऐतिहासिक पलों का लुत्फ उठाया। राष्ट्रपति ने अपनी भाभी से पेड़े का वह डिब्बा भी मांगा जो वह स्टेशन पर पहुंचकर नहीं दे सकी थीं।
इसके अलावा परिवार वालों ने जो पूजा रखी थी उसका प्रसाद भी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को दिया। राष्ट्रपति जब अपने घर पहुंचे तो सबसे पहले भाभी विद्यावती से मुखातिब हुए। भतीजी अंजली कोविंद ने बताया कि चाचा को घर के बने दूध और खोवा के पेड़े बहुत पसंद हैं। विद्यावती पेड़े के डिब्बे राष्ट्रपति को देने के लिए स्टेशन गई थीं मगर सुरक्षा कारणों से डिब्बा नहीं दे सकी थीं। राष्ट्रपति को वह याद था।
सल्हू कैसे हो
राष्ट्रपति सबसे मिलते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे, लाइन में खड़े बचपन के मित्र विजयपाल सिंह को देखते ही बोल पड़े और सल्हू कैसे हो। दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कराए। सल्हू ने धीरे से गांव में बारातशाला बनवाने की बात कही तो मुस्कराकर सिर हिलाया और आगे बढ़ गए। समय कम होने के कारण मिलने वालों को लाइन अप करया गया था, जहां से राष्ट्रपति सबका परिचय पूछते हुए ही निकले।
ठीक हूं चाचा
रिश्ते में भतीजे लगने वाले भोले सिंह भी हाल पूछा, उन्होंने जवाब दिया ठीक हूं चाचा। मंच पर संबोधन के दौरान भी उन्होंने भोले सिंह का नाम लिया और मंच पर बैठे सांसद की ओर इशारा करते हुए कहाकि यह भोले सिंह नहीं हमारे गांव के भोले सिंह हैं। भोले बहुत खुश नजर आए, उनका कहना था कि चाचा ने पूरी तवज्जो दी।