उत्तर बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निश्चय की हवा निकल रही है.
उत्तर बिहार के जिलों में चल रही मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना की समीक्षा की गई तो इसका खुलासा हुआ है.
पंचायती राज विभाग ने 2 मार्च 2021 को बैठक की थी.
विभाग ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और मुखियों को सख्त चेतावनी है
और कहा है कि 15 मार्च तक काम पूरा नहीं करने वालों पर एक्शन लिया जाएगा।
पंचायती राज विभाग के आदेश के अनुसार वैसे लापरवाह मुखिया को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जा सकता है।
मधुबनी में 626, मुजफ्फरपुर में 163, दरभंगा में 145, सारण में 108, गोपालगंज में 94, सिवान में 59 एवं समस्तीपुर के 41 वार्डों में पेयजल निश्चय योजना लंबित है.
इन जिलों के जिला पंचायत राज पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि 15 मार्च 2021 तक पेयजल निश्चय योजना पूर्ण कर ले
.अगर 15 मार्च के बाद कार्य अपूर्ण रहता है तो संबंधित पदाधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि जिस मुखिया
एवं वार्ड कार्यान्वयन प्रबंधन समिति द्वारा कार्य नहीं किया जा रहा उन पर विभागीय एवं कानूनी कार्यवाही की जाए .
दरअसल, पंचायती राज विभाग के निदेशक विजय रंजन ने उत्तर बिहार के जिला पंचायती राज पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी.
इस बैठक में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना समेत अन्य योजनाओं की समीक्षा की गई.
उपयोगिता प्रमाण पत्र की भी जिला वार समीक्षा की गई.
विभाग ने पाया कि उत्तरी बिहार के जिलों को वित्तीय वर्ष2018-19 तक आवंटित राशि के आधार पर 14936 करोड़ 65 लाख रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है.
जिनमें से 1000 करोड़ से अधिक लंबित जिलों की सूची में पूर्वी चंपारण, मधुबनी एवं मुजफ्फरपुर शामिल है।
सभी जिला राज पंचायती पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राथमिकता के आधार पर भेजना सुनिश्चित करें.
AC विपत्र के विरुद्ध लंबित विपत्र 57 करोड़ 45 लाख है ।
इसे भी समायोजन करने का निर्देश सभी जिला पंचायत राज पदाधिकारी को दिया गया है.