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upsc की परीक्षा को अपने आप में सबसे कठिन और कड़ा परीक्षा माना जाता है | असंभव की भी एक न एक दिन शुरुआत करनी ही पड़ती है | और जब उसे सफलता मिलती है तो वही शख्स आने वाले पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शन का कारण बनते हैं | बता दे की कई महिला अधिकारियों ने अपने काम से पहचान बनाई है और ऐसी ही कहानी आईएएस अफसर स्मिता सभरवाल (Smita Sabharwal) की है, जो ‘जनता की अधिकारी’ कही जाती हैं |

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स्मिता के पिता थे आर्मी ऑफिसर

आपको बता दे की स्मिता सभरवाल (Smita Sabharwal) पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग की रहने वाली है. उनके पिता प्रणब दास भारतीय सेना (Indian Army) में कर्नल के पद से रिटायर हुए हैं. इस वजह से स्मिता अलग-अलग शहरों में पली-बढ़ी हैं और उनकी पढ़ाई भी अलग-अलग स्कूलों में हुई |

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स्मिता ने 12वीं में किया था टॉप : खास बात यह है की स्मिता सभरवाल (Smita Sabharwal) शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थीं और वह 12वीं में ISC बोर्ड की टॉपर रही थीं. 12वीं के बाद स्मिता ने कॉमर्स स्ट्रीम में ग्रेजुएशन किया. जब स्मिता ने 12वीं में टॉप किया तो उनके पिता ने उन्हें सिविल सर्विस में जाने के लिए प्रोत्साहित किया |

पहली बार नही मिल पाई सफलता

द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेजुएशन के बाद स्मिता सभरवाल (Smita Sabharwal) ने सिविल सर्विस एग्जाम (Civil Service Exam) की तैयारी शुरू की. हालांकि स्मिता को पहले प्रयास में असफलता हाथ लगी और वो प्रीलिम्स एग्जाम (UPSC Prelims Exam) भी क्लियर नहीं कर पाई.

मात्र 22 की उम्र में आईएस

जानकारी के लिए बता दे की पहले प्रयास में मिली असफलता के बाद भी स्मिता सभरवाल (Smita Sabharwal) ने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत के साथ दूसरी बार एग्जाम दिया. स्मिता ने साल 2000 में यूपीएससी एग्जाम (UPSC Exam) में चौथी रैंक हासिल की और सिर्फ 22 साल की उम्र में आईएएस अफसर (IAS Officer) बन गईं |

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...