55

एक सफल व्यक्ति बनने का सपना हर कोई देखता है परंतु सभी लोगों को सफलता नहीं मिल पाती है। कामयाब होने के लिए व्यक्ति को अपने जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। ज्यादातर ऐसा होता है कि लोग अपनी गरीबी के चलते हार मान जाते हैं। अपनी परिस्थितियों के आगे लोग टूट जाते हैं परंतु ऐसा नहीं है कि गरीब लोग सफलता नहीं प्राप्त कर सकते। ऐसा कहा जाता है कि कामयाबी किसी की मोहताज नहीं होती है। अगर इंसान में कुछ करने का जज्बा है और लगातार मेहनत करता है तो उसको एक ना एक दिन सफलता अवश्य मिलती है।

Also read: छात्रा गई थी अपनी कोचिंग देखने लेकिन स्टेशन पर मिल गई बड़ी खुशखबरी, माँ ने वहीँ पर मिठाई खिलाकर मुंह किया मीठा!

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से उदयपुर के भावेश लोहार की कहानी बताने वाले हैं। भावेश लोहार ने अपने सपनों की नौकरी पाने के लिए सभी बाधाओं को तोड़ दिया और आज वह कार बनाने वाली फोर्ड कंपनी में इंजीनियर बन गया है। हालांकि, भावेश लोहार के लिए यह मुकाम पाना इतना आसान नहीं था परंतु इसके लिए उनकी मां ने सबसे बड़ा त्याग किया है। भावेश लोहार की मां सालों से लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा और बर्तन मांजकर अपने बेटे को पढ़ाया।

Also read: माँ दुसरे के खेतों में घास छिलती थी पिता थे मजदुर बेटा बना DSP ख़ुशी के से रोने लगी माँ यकीन नही हुआ, जानिये….

आपको बता दें कि भावेश लोहार राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले हैं। उनकी मां लोगों के घरों में घरेलू काम किया करती थीं। मां ने अपने बेटे को दिन रात मेहनत कर पढ़ाया और मां का त्याग आखिर में रंग लाया है। आज बेटे ने फोर्ड कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी प्राप्त कर ली है। उन्होंने लिंक्डइन पर अपनी सफलता की कहानी साझा की है, जो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रही है

Also read: IAS Success Story : गरीबी के चलते माँ बनाती थी स्कूल में खाना, पढाई करके बेटा बना अधिकारी, घर के साथ-साथ पूरा समाज में ख़ुशी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस पोस्ट में भावेश लोहार ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए यह लिखा है कि “मुझे आज भी वह दिन याद है, जब हाईवे पर हम नंगे पैर लू के बीच में सरकारी स्कूल जाते थे। मैं और मेरे दोस्त फ्यूचर की कारों के बारे में विचार-विमर्श करते थे और यह कहते थे कि एक दिन बड़ा आदमी बनने पर यह कार खरीदेंगे। उन दिनों मुझे फोर्ड फीगो से बड़ा प्यार था। मैंने वह लो’कल न्यूज़ पेपर में देखी थी और पैसा आने पर मैं उसे खरीदना चाहता था।

Also read: उत्तर प्रदेश का यह किसान अपने यहाँ उगा रहा है कई विदेशी सब्जी बहुत हो रही है इसकी मांग, जानिये इसके बारे में खास बात…

भावेश लोहार अपनी सफलता का श्रेय अपनी बड़ी बहन और मां को देते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी मां इन लोगों के घरों में काम करती हैं। उनके पिता महीने में ₹7000 रूपए तक कमाते थे। इसी वजह से कर्ज उतारने के लिए परिवार के अन्य सदस्यों को भी नौकरी करनी पड़ी थी। भावेश लोहार ने यह भी बताया है कि अपना काम ईमानदारी से करते रहो और सकारात्मक सोचते रहो, क्योंकि भगवान के पास आपके लिए बेहतर योजनाएं हैं।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...