दोस्तों, बंजर ज़मीन से सोना उगलने वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के एक गाँव में रहने वाले दसवीं पास व्यक्ति ने। जिन्होंने कड़ा परिश्रम करके बंजर पड़ी हुई बेकार ज़मीन पर खेती की और 3 साल मेहनत करके उस ज़मीन से लाखों रुपए कमा रहे हैं। चलिए जानते हैं इनकी पूरी कहानी…
हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बलियाना नामक गाँव रहने वाले किसान ओम प्रकाश की। ओमप्रकाश (Om Prakash) केवल दसवीं तक ही पढ़े हैं, लेकिन मेहनत करने में उनका कोई जवाब नहीं है। इन्होंने अपनी मेहनत से बंजर पड़ी हुई भूमि को उपजाऊ बनाया। फिर 3 तीन साल इस ज़मीन पर बहुत मेहनत की, फलस्वरूप आज उनकी अच्छी खासी कमाई हो रही है और वह सभी किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं।
दरअसल ओम प्रकाश ने वर्ष 2017-2018 के मध्य अपनी बंजर पड़ी हुई छोटी-सी भूमि को उपजाऊ बनाकर और उसमें लेमन ग्रास उगा दी। उन्हें उनका मेहनत का फल मिला और थोड़ी ही ज़मीन में उनकी लेमन ग्रास की फ़सल बहुत अच्छी उगी। इस फ़सल से उन्होंने 5 क्विंटल तेल निकाला, जिसकी मार्केट में बहुत डिमांड रहती है क्योंकि, लेमन ग्रास में कई औषधीय गुण होते हैं। इस फ़सल से उन्होंने करीब 9 लाख रुपए की कमाई की और धीरे-धीरे उनका मुनाफा बढ़ा। अब उन्होंने अपनी पहचान ख़ुद बनाई है। आज उनके आसपास के सारे किसान उनसे खेती के गुर सीखने आया करते हैं।
ओम प्रकाश (Om Prakash) कहते हैं कि हमारे सारे क्षेत्र में बेसहारा घूमते जानवरों की दहशत की वज़ह से सैकड़ों किसानों ने अपनी बंजर भूमि को यूं ही छोड़ दिया था। फिर मैंने उन्हें लेमन ग्रास के लाभ बताए और उन्हें इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इसके लिए नीलकंठ इंडिया नाम से एक सोसायटी भी बनाई, जिसमें 70 व्यक्ति रजिस्टर्ड हैं। उन सभी व्यक्तियों ने भी लेमन ग्रास की खेती शुरू कर दी है। अब वह हर एक किसान हर साल 20 से 30 हज़ार की कमाई कर रहे हैं।
लेमन ग्रास के बहुत से औषधीय गुण होते हैं जैसे सर्दी, खांसी, जुकाम, पेट दर्द तथा कई प्रकार की अन्य बीमारियों का इलाज़ करने के लिए लेमन ग्रास का ऑइल बहुत उपयोगी होता है। 5 स्टार, 7 स्टार जैसे बड़े-बड़े होटलों में भी ख़ुशबू के लिए लेमन ग्रास का ऑयल ही प्रयोग में लिया जाता है। लेमन ग्रास पशुओं से भी सुरक्षित रहती है क्योंकि इसकी खट्टी और तेज ख़ुशबू की वज़ह से कोई भी जानवर इसे बर्बाद नहीं कर पाता है, बल्कि खेत में घुसता ही नहीं है।