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जीवन में अगर आप अपनी असफलताओं को किसी प्रेरणा के तौर पर लेते हैं तो आपके रास्ते की रूकावटें खुद बखुद कम होने लग जाती है। ऐसी ही कहानी है राजस्थान के बाड़मेर जिले के रहने वाले गणेश परमार की जो हाल में भारतीय वायु सेना में फ्लाइंग अफसर के तौर पर चयनित हुए हैं जिन्होंने असफलताओं से निराश हुए बिना अपनी मेहनत जारी रखी।

गणेश परमार का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। गणेश बाड़मेर जिले के कवास गांव के रहने वाले हैं जहां उन्होंने 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई अपने गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की।

वह कहते हैं कि उनके पिताजी अध्यापक थे जिसकी वजह से उनका तबादला बालोतरा हो गया था फिर गणेश ने आगे की पढ़ाई के लिए जोधपुर जाना सही समझा। वह कहते हैं कि पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने भारतीय वायु सेना में जाने का सपना बना दिया था और इसी दौरान उन्होंने भारतीय वायु सेना की भर्ती के लिए आवेदन भी किए।

गणेश परमार बताते हैं कि उनका पहले सेलेक्शन एयरमैन के तौर पर हो गया था लेकिन वायु सेना में उन्हें तो फ्लाइंग अफसर बनना था और इसी के लिए वह लगातार तैयारी करते चले गए।

लेकिन उन किस्मत में इतनी जल्दी फ्लाइंग अफसर बनना शायद नहीं लिखा हुआ था। आपको बता दें कि गणेश परमार 12 बार इंटरव्यू में कुछ ना कुछ कमी के चलते रह गए। 12 बार फ्लाइंग अफसर बनने के सपने को पूरा होते रह गए लेकिन उन्होंने अपनी असफलताओं से हार नहीं मानी और लगातार संघर्ष किया।

अपनी असफलताओं को प्रेरणा के तौर पर लेकर गणेश परमार 13वीं बार में सफलता हासिल की। वह अब एयरफोर्स में बतौर फ्लाइंग अफसर ज्वाइन कर चुके है। उन्होंने हैदराबाद की वायु सेना की एकेडमी में 1 साल की ट्रेनिंग पूरी की।

गणेश परमार जब फ्लाइंग अफसर बनने के बाद पहली बार गांव पहुंचे तो वहां उनको बधाई देने वालों का तांता लग गया। फ्लाइंग अफसर बनने के बाद पहली बार गणेश अपने गांव पहुंचे थे, वहां लोगों ने उन्हें माला पहना कर मिठाई खिलाकर खुशियां मनाई।

वहीं इस मौके पर कई बड़े अधिकारी भी स्वागत समारोह में शामिल हुए। उनके पिता अध्यापक हैं और इस वक्त बालोतरा में कार्यरत हैं। गणेश कहते हैं कि वह अब आगे चलकर युवाओं को भारतीय वायुसेना या अन्य क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरणा देना चाहते हैं।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...