कोई भी रेलवे स्टेशन का निर्माण इसीलिए किया जाता है ताकि वहां पे लोगों का ठहराव हो लोग रुके और अपनी यात्रा को आगे के लिए चले लेकिन आज हम आपको एक ऐसे रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे है जहाँ कोई ट्रेन रूकती ही नहीं है मगह पुरे एक साल में सिर्फ और सिर्फ 15 दिन ही ट्रेन रूकती है.
आलम यह है की इस स्टेशन पर लोग आपको नहीं मिलेंगे यह बिलकुल खाली-खाली सा रहता है. बाकी समय इस रेलवे स्टेशन पर वीरानी ही छाई रहती है. सबसे अजीब बात तो यह है की यह स्टेशन वर्षो पुरानी है और पिछले 25 साल से ऊपर से इस स्टेशन पर एक भी टिकट का बिक्री नहीं हुआ है.
दरअसल हम बात कर रहे है पूर्व-मध्य रेल के दीनदयाल उपाध्याय मंड के अंतर्गत ग्रैंड कॉर्ड रेल लाइन पर मुगलसराय-गया रेलखंड के बीच आने वाली एक रेलवे स्टेशन जिसका नाम अनुग्रह नारायण रोड घाट रेलवे स्टेशन है और यह रेलवे स्टेशन बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित है.
अब आपके मन में एक सवाल आता होगा की इस स्टेशन को क्यूँ बनाया गया अगर लोग नहीं आते तो हटा क्यूँ नहीं दिया जाता तो इसका जवाब है पुन-पुन नहीं जी हाँ दोस्तों साल में सिर्फ 15 दिन ही ट्रेन यहाँ पर रूकती है और लोग यहाँ से आन-जान कर सकते है इतना ही नहीं यह ठहराव हर साल पितृ पक्ष के समय रहता है.
तो 15 दिन तक चलता है. इस रेलवे स्टेशन पर हर साल पितृ पक्ष में इसलिए ट्रेनों को रोका जाता है, क्योंकि इसके करीब स्थित पुनपुन नदी में लोग श्राद्ध के दौरान अपने पितरो को पुन-पुन नदी में परवाह कर सके इस स्टेशन का चलाने का एक मात्र उद्देश्य यही है.