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दरभंगा जंक्शन को ऐतिहासिक कामेश्वर सिंह विश्वविद्यालय भवन के स्वरूप के रूप में तैयार किया गया है। जंक्शन भवन के बाहरी स्वरूप को संस्कृत विवि के स्वरूप का लुक दिया गया है। वर्ष 2019 में ही तत्कालीन डीआरएम आरके जैन ने दरभंगा जंक्शन को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि भवन के स्वरूप में तैयार करवाने की योजना बनाई थी। 44.50 लाख रुपये की राशि से दरभंगा जंक्शन के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया गया है। योजना को पांच में ही पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित था। लेकिन साल भर से अधिक समय बीत जाने के बाद अब जाकर दरभंगा जंक्शन का बाहरी लुक संस्कृत विश्वविद्यालय की तरह दिखने लगा है।

जंक्शन के बाहरी वॉल पर ठीक संस्कृत विवि भवन में की गई कलाकृतियां और रंग-रोगन का उपयोग किया गया है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक लॉकडाउन के कारण काम बाधित रहा। सप्ताह भर के अंदर रंग-रोगन का काम पूरा कर लिया जाएगा। पर्यटन की दृष्टिकोण से आठ जुलाई 2018 को दरभंगा जंक्शन के सामने 1913 इंग्लैंड-निर्मित भाप रेल इंजन जिसे पहले लोकोमोटिव कहा जाता था वो स्थापित किया गया।

जंक्शन का इतिहास पुराना :समस्तीपुर रेल मंडल के दरभंगा जंक्शन का इतिहास बहुत पुराना है। जंक्शन भारत के अधिकांश प्रमुख शहरों से रेलवे संचालन से जुड़ा हुआ है। दरभंगा पर्यटन क्षेत्र घूमने के लिए नेपाल समेत अन्य देशों के पर्यटक पहुंचते हैं। मिथिला में खासकर दरभंगा पर्यटन का केंद्र रहा है। जंक्शन का यह लुक पर्यटकों को लुभाएगा।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...