दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़े स्तर पर कई कदम उठाए जा रहे हैं। कई लोग ऐसे भी हैं, जो अपने स्तर पर छोटा ही सही, लेकिन सार्थक कदम उठाकर पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं। तेलंगाना के वारंगल स्थित गोपालपुरम गाँव के राजू मुप्परपु कुछ ऐसा ही काम कर रहे हैं। उन्होंने कम लागत वाले कई आविष्कार किये हैं, जिनमें स्ट्रीट लाइट के लिए सेंसर और बैटरी से चलने वाली साइकिल शामिल है। इसी साल, 27 अप्रैल को 30 वर्षीय राजू ने एक और आविष्कार किया। उन्होंने मकई की भूसी से इको फ्रेंडली पेन (Eco Friendly Pen) बनाये हैं।

राजू कहते हैं, “मेरे गाँव के आसपास के कृषि क्षेत्रों में, कई किसान मकई की खेती करते हैं। हालांकि फसल की कटाई के बाद, भूसी को मकई से अलग कर, बाज़ार में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है।

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आमतौर पर मकई की भूसी का कोई उपयोग न होने के कारण, इसे जला दिया जाता है। इसलिए मैं इसका एक ऐसा समाधान खोजना चाहता था, जिससे मकई की भूसी को जलाने से रोका जा सके।”

उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में एक हुनर सीखा था, उसे ही ध्यान में रखते हुए, उन्होंने मकई की भूसी से पेन की रीफिल बनाने के बारे में सोचा। जिसके लिए, उन्होंने मकई की भूसी को सिलिंड्रिकल शेप में ढालने का फैसला किया।

पेन (Eco Friendly Pen) बनाने की तकनीक के बारे में वह कहते हैं कि उन्होंने एक धातु की छड़ को एक सांचे तथा एक मेजरिंग टूल (मापक उपकरण) के रूप में उपयोग किया और उसके ऊपर मकई की भूसी को अच्छे से लपेट दिया।

कुछ दिनों पहले, जब वह वारंगल ग्रेटर नगर निगम की कमिश्नर, IAS पमेला सत्पथी से मिले थे, तो राजू ने उन्हें मकई की भूसी से बना पेन (Eco Friendly Pen)गिफ्ट किया था।

इस एक पेन की कीमत 10 रुपये है। राजू अब तक, IAS पमेला सत्पथी के ऑफिस में 100 पेन बना कर भेज चुके हैं और बाकी 900 पेन बनाने का काम जारी है। तेलंगाना स्टेट इनोवेशन सेल (TSIC) द्वारा उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर, राजू के इस आविष्कार की सराहना किए जाने के बाद, उन्हें और ज़्यादा ऑर्डर मिल रहे हैं।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...