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आज के समय में हर उस क्षेत्र में महिलाएं अपने क़दम बढ़ा रही हैं,

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जहां पहले बोला जाता था कि उनके लिए यह काम बनाया ही नहीं गया है।

लोगों की रूढ़िवादिता सोच के कारण वह घर के कामों में ही उलझ कर रह जाती थी।

हमारी आज की कहानी एक ऐसी महिला की है, जो भारत की पहली एंबुलेंस (Ambulance Driver) ड्राइवर बनीं।

उनका कहना है कि वह केवल पैसे कमाने के लिए यह काम नहीं करतीं बल्कि लोगों की मदद भी करती हैं।

30 वर्ष की वीरलक्ष्मी (Veer Lakshmi) तमिलनाडु की रहने वाली हैं।

उनके दो बच्चे हैं। वीरलक्ष्मी अभी भारत की पहली एंबुलेंस ड्राइवर (Ambulance Driver) है।

इससे पहले वह कैब ड्राइवर थी। इन्होंने ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा किया है।

मुख्यमंत्री के.‌ पलानिस्वामी ने राज्य में आपदा सेवा कार्य को मजबूत करने के लिए 118 एम्बुलेंसों को हरी झंडी दिखाई।

118 एम्बुलेंसों में से 108 एंबुलेंस ड्राईवर( Ambulance Driver) को नियुक्त किया गया, जिसमें से एक वीरलक्ष्मी भी हैं।

वीरलक्ष्मी के दो बच्चे होने के बावजूद भी उन्होंने इस कार्य को चुना। वह कहती हैं

कि जब मुझे इस नौकरी के बारे में पता चला, तब उन्होंने आवेदन किया। उन्होंने बताया कि मुझे पूरी उम्मीद थी

कि मुझे जरूर चुना जाएगा और ऐसा ही हुआ। फिर मुझे पता चला कि मैं देश की पहली महिला एंबुलेंस ड्राइवर (Ambulance Driver) हूं।

देश की पहली एंबुलेंस ड्राइवर बनकर मुझे अपने आप पर काफी गर्व महसूस हुआ।

वीरलक्ष्मी (Veer Lakshmi) कहती हैं कि ‘मेरी मां मुझसे कहती थी कि

जो भी कार्य करो वह पूरी लगन और निष्ठा के साथ करो। अगर कोई भी व्यक्ति पूरी लगन से कोई

कार्य करे तो वह अपने जीवन में जरूर सफल होता है।”

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...