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दो हफ्ते पहले ही पीएम मोदी ने राज्यों को यह सलाह दी थी कि वे लॉकडाउन को आखिरी विकल्प मानकर चलें। हालांकि, अब कोरोना वायरस की वजह से देश में हर तरफ कोहराम मचा हुआ है। कोरोना मरीजों से भरे अस्पताल और हर दिन बढ़ते मौतों के आंकड़े की वजह से केंद्र सरकार पर लॉकडाउन लगाए जाने का दबाव बढ़ता जा रहा है।

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स्थिति यह है कि देश के ही नहीं बल्कि विदेश के नेता भी कोरोना संकट से उबरने के लिए भारत में लॉकडाउन को ही आखिरी विकल्प बता रहे हैं। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के चीफ मेडिकल अडवाइजर ने भी भारत को लॉकडाउन लगाने की सलाह दी है।

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सिर्फ लॉकडाउन से होगा अर्थव्यवस्था को नुकसान?
कैलिफॉर्निया के स्टेफोर्ड मेडीसिन में संक्रामक रोगों की विशेषज्ञ कैथरीन ब्लिश का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या यह झूठा नैरेटिव है कि सिर्फ फुल लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। उनका कहना है कि अगर आपकी एक बड़ी आबादी बीमार है तो यह भी आपकी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है।

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क्या कहा अमेरिका के शीर्ष चिकित्सा सलाहकार फाउची ने?
शीर्ष अमेरिकी हेल्थ एक्सपर्ट और व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथनी फाउची ने भी भारत में बढ़ते कोरोना वायरस को लेकर चिंता जताई। उन्होंने सलाह दी है कि भारत में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए।

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इसके अलावा व्यापक स्तर पर टीकाकरण किया जाना चाहिए और बड़ी संख्या में अस्थायी अस्पताल बनाए जाने चाहिए। उन्होंन महामारी से निपटने में सेना की मदद लेने की भी सलाह दी है। उन्होंने कहा कि भारत को सेना की मदद से फील्ड अस्पताल बनाने चाहिए, जैसे कि युद्ध के समय बनाए जाते हैं।

भारत में कुल संक्रमण 2 करोड़ के पार
बीते हफ्ते हर दिन कोरोना के रिकॉर्ड नए मामले दर्ज किए गए हैं। स्थिति यह है कि अब भारत में कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या 2 करोड़ के पार पहुंच गई है।

मंगलवार को भी भारत में कोरोना वायरस के 3 लाख 82 हजार नए मामले दर्ज किए गए हैं तो वहीं इसकी वजह से 3 हजार 786 लोगों ने एक दिन में दम तोड़ दिया। बता दें कि महज 15 दिनों में संक्रमण के 50 लाख से ज्यादा नए मामले आए हैं।

राहुल गांधी ने भी की लॉकडाउन की मांग
कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार-बार देश में लॉकडाउन लगाए जाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि देश में कोरोना वायरस ऐसे चरण में पहुंच गया है जहां फुल लॉकडाउन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा।

भारतीय बैंकर उदय कोटक ने भी सरकार से मांग की है कि वह मरीजों की मदद के लिए सेना को तैनात करे और कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए प्रतिबंध लागू किए जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार को भारत के साथ ही विदेशी एक्सपर्ट्स से इस मुद्दे पर सलाह लेनी चाहिए।

लॉकडाउन लगाने में क्या है दिक्कत?
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन संभव नहीं है और यह गरीबों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, जो पहले ही इस महामारी की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। केंद्र सरकार ने राज्यों पर यह फैसला छोड़ दिया है कि वे लॉकडाउन लगाना चाहते हैं या नहीं।

ऑस्ट्रेलियन पीडियाट्रिशियन किम मलहोलांद कहते हैं कि लॉकडाउन उन लोगों के लिए संकट को और बढ़ाने का काम करेगा, जो दिहाड़ी पर काम करते हैं। कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लॉकडाउन की बजाय, स्थानीय सरकारें उन जगहों पर गतिविधि को बंद कर दें जहां समाजिक दूरी बनाए रखना संभव नहीं है।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...