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यूपीएससी की परीक्षा को अपने आप में सबसे कठिन और कड़ा एग्जाम माना जाता है | सम्मानित नौकरी या प्रोफेशन छोड़कर कई उम्मीदवारों ने यूपीएससी की तैयारी की और आईएएस बनने का सफर तय किया यूपीएससी की कहानी सिर्फ इसकी परीक्षा की तैयारी तक ही सीमित नहीं है बल्कि कई अभ्यर्थियों के लिए यहां तक पहुंचना भी किसी जंग लड़ने से कम नहीं होता. |

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हम माता-पिता की अपने बच्चों के लिए एक ही आस होती है कि उनके बच्चे भविष्य में खूब तरक्की करें और अपने परिवार वालों का नाम रोशन करें, लेकिन वो अपनी इस कयास को वो कभी अपनी बातों से बयां नहीं कर पाते, कुछ इसी तरह की एक कहानी है IAS बनने वाली प्रीति हुड्डा की है, जिनके पिता दिल्ली परिवहन निगम (DTC) में बस चलाते थे.

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भाग्यपूर्ण एक दिन प्रीती ने आईएएस (IAS) बनकर अपने पिता की इस उम्मीद को पूरा भी कर दिया और जब प्रीती ने इस सफलता के बारे में अपने पिता को बताया तो उन्होनें तुरंत प्रीती को बोला शाबाश बेटा जो कि प्रीति के मुताबिक उनके पिता ने इससे पहले कभी नही बोला था. ऐसे में जाहिर सी बात है प्रीती के लिए खुशी और दोगुनी हो जाने वाली थी. 

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साल 2017 में अपनी यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में 288वीं रैंक हासिल करने वाली प्रीती हुड्डा के मुताबिक उनके पिता का शुरू से यही सपना था कि वो आईएएस (IAS) बने और अब प्रिती ने अपने पिता वो सपना साकार दिया है. इस पर उनके कई इंटरव्यू भी हो चुके हैं, जिसमे से एक दैनिक भास्कर का साथ भी देखने को मिला था.

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इस बीच जब उनसे पूछा गया कि उन्होनें अपनी इस सफलता के बारे में परिवार वालों को बताया तो उन सबने क्या कहा, तो इस सवाल पर प्रीती ने बताया कि “जब मेरा UPSC का रिजल्ट आया तो मैंने पापा को फ़ोन किया तो उस वक़्त मेरे पापा बस चला रहे थे, रिजल्ट सुनने के बाद पापा बोले ‘शाबाश मेरा बेटा’, जबकि मेरे पिता मुझे कभी शाबासी नहीं देते थे

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...