गरिमा अग्रवाल तेलंगाना में सहायक जिलाधिकारी के पद पर पदस्थापित हैं। गरिमा आईआईटी (IIT) हैदराबाद से ग्रेजुएट हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में अपने आईआईटी से लेकर आईपीएस और फिर आईएएस बनने तक का सफर तय की हैं।संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा को देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में एक माना जाता है। हर साल लाखों छात्र इस परीक्षा में शामिल होते हैं लेकिन कुछ ही सफलता हासिल कर पाते हैं। लेकिन कुछ स्टूडेंट अपने पहले ही प्रयास में परीक्षा क्लीयर कर लेते हैं।
मूल रूप से मध्यप्रदेश के खरगोन की रहने वाली गरिमा अग्रवाल शुरुआत से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थी। शुरूआती शिक्षा उन्होंने खरगोन के ही सरस्वती विद्या मंदिर से की। व्यवसायिक परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद गरिमा का मन पढ़ाई में खूब रमता था। खरगोन के ही स्कूल से पढाई करते हुए उन्होंने 10वीं में 92% और कक्षा 12वीं में 89% प्राप्त किया।
12वीं की पढ़ाई करने के बाद गरिमा का मन इजीनियरिंग की तरफ गया। इसके बाद उन्होंने ट्रिपल आईटी हैदराबाद से ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन करने के बाद वे इंटर्नशिप के लिए जर्मनी चली गईं। उस दौरान उन्हें वहां नौकरी करने का ऑफर भी मिला लेकिन उनका मन यूपीएससी करने का था। इसके लिए वो भारत लौटकर यूपीएससी की तैयारी करने लगीं।
गरिमा बताती है कि कोई है सफलता हासिल करने के लिए सबसे जरुरी है,धैर्य ऐसे ही यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में सफलता पाने के लिए धैर्य और निरंतरता की जरूरत है। पहली बार में सफल ना होने पर निराश नहीं होना चाहिए तथा अगली बार और कड़ी मेहनत करना चाहिए। तथा वैसे समय में निगेटिव ऊर्जा वाले व्यक्तियों से दूरी बनाकर रखें। क्योंकि ऐसे लोगों के पास रहने से मनोबल टूटता है जिस का असर आपकी तैयारी पर पड़ेगा।