AddText 04 16 12.11.22

मनीष कुमार ने साल 2017 की यूपीएससी परीक्षा में टॉप किया था. यह उनका दूसरा प्रयास था जिसे उन्होंने 61वीं रैंक के साथ पास किया. इसके पहले साल 2016 के प्रयास में मनीष बहुत कम मार्जिन से प्री में सेलेक्ट होने से रह गए थे और उस साल कट-ऑफ भी तुलनात्मक हाई गया था.

Also read: प्रेरणा : एक ऐसा परिवार जहाँ एक साथ बनता है 38 लोगों का खाना एक साथ, एक घर में रहते है 4 पीढ़ी के लोग नहीं होती है झगड़ा

दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में मनीष बता रहे हैं कि कैसे वर्किंग प्रोफेशनल्स नौकरी के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं. जिस साल मनीष का यूपीएससी में सेलेक्शन हुआ था, उसी साल उन्होंने आरबीआई की परीक्षा में भी 49वीं रैंक पाई थी. इस साल उनके बैक टू बैक तीन पेपर थे, तीसरा पेपर था सीएफए लेवल थ्री का और मनीष ने तीनों पेपर दिए.

Also read: रिक्शा चलाकर-दूध बेचकर खूब संघर्ष करके बने मास्टर रिटायर हुए तो, गरीब बच्चे में बाँट दिए रिटायरी में मिले 40 लाख रूपये!

02 51

ऐडेड मोटीवेशन है जरूरी –इस बारे में बात शुरू करने से पहले मनीष उन लोगों को सैल्यूट कहना चाहते हैं जो नौकरी के साथ यह परीक्षा पास करने की योजना बनाते हैं क्योंकि मुश्किल तो होता है पर आपने यह फैसला लिया यानी आप में कुछ खास है. ऐसे में आपके लिए सबसे पहला लेसन यह है कि समय नहीं है,

समय नहीं है का गाना गाने के बजाय जो समय है उसका दुरुपयोग करने से बचें. चूंकि आप पहले से एक नौकरी में है इसलिए आपके पास यूपीएससी या किसी भी दूसरी परीक्षा की तैयारी करने के पीछे ऐडेड मोटीवेशन होना चाहिए. बिना इसके आप इस सफर में प्रेरित नहीं रहेंगे. 

लोग आपसे पूछेंगे कि एक नौकरी में होने के बावजूद आप ये सिरदर्द क्यों ले रहे हैं तो आपके पास कारण होना चाहिए उनको गलत साबित करने का. एक बात का और ध्यान रखें कि कभी भी अपनी पुरानी नौकरी की आलोचना किसी से न करें.

नये इंप्लॉयर से तो बिलकुल नहीं. मनीष से भी इंटरव्यू में यह पूछा गया था कि एक अच्छी नौकरी छोड़कर आप इस क्षेत्र में क्यों आना चाहते हैं. जवाब में मनीष ने कभी पुरानी नौकरी को कोसा नहीं बल्कि ये कहा कि वे कुछ और बेहतर करना चाहते हैं.

नौकरी का फायदा –इस बारे में मनीष आगे कहते हैं कि नौकरी होने का यह फायदा भी होता है कि आपके पास एक सिक्योरिटी रहती है. अगर यहां सफल नहीं हुए तो क्या करेंगे जैसे ख्याल आपके दिमाग में नहीं आते. यह सेन्स ऑफ सिक्योरिटी बहुत अहम रोल अदा करती है. अगली जरूरी बात की दूसरे से खुद को कंपेयर करना बंद कर दें.

जिनके पास समय है वह इतना पढ़ रहे होंगे, हम नहीं पढ़ रहे हैं जैसी बातें दिमाग में न लाएं. इस बारे में मनीष एक बहुत ही बढ़िया बात कहते हैं कि समय के साथ यही खेल है कि जिनके पास है वे उसका सदुपयोग नहीं करते और जिनके पास नहीं है वह उसके न होने का रोना रोते हैं.

मनीष बताते हैं कि नौकरी करने वालों को न करने वालों की तुलना में चीजें थोड़ा ज्यादा प्लान करनी चाहिए. अपना पूरा शेड्यूल खासकर हॉलीडेज को वेल प्लान करें. किस दिन, क्या पढ़ेंगे सब तय होना चाहिए. इसके साथ ही अगर आपको ऑफिस से छुट्टी मिल सकती हो तो बीच-बीच में ऑफ लेकर पढ़ें.

जैसे शनिवार, रविवार बंद रहता है तो सोमवार की छुट्टी खुद बोल दें और तीनों दिन जमकर तैयारी करें. ऑफिस जाने के पहले कम से कम एक घंटा कुछ सॉलिड पढ़कर जरूर जाएं ताकि दिनभर उसे रिवाइज कर सकें. यह न्यूज पेपर नहीं होना चाहिए.

ज्ञान केवल किताबों में नहीं है आप हर जगह से सीख सकते हैं. इसलिए ऑब्जर्वेंट बनें और अपने आसपास की चीजों पर निगाह रखें. जहां सीखने का मौका मिले सीखें.

इसके साथ ही ऑफिस में भी जब समय मिले तो ऑडियो सुनें या नोट्स बना लें. मनीष तो जिम भी जाते थे तो फोन पर नोट्स सुनते रहते थे. इस प्रकार वर्किंग प्रोफेशनल को मोमेंट्स चुराने पड़ते हैं इसलिए कोई भी मौका न गवाएं.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...