बिहार ही नहीं पुरे विशव में जलवायु परिवर्तन एक कडवी सच्चाई है। हमारी पृथ्वी हमारे वातावरण में अप्रत्याशित परिवर्तन का सामना कर रही है। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव अत्यन्त विनाशकारी हैं। बिहार और दुनिया के कुछ महानगरों में साँस लेना धूम्रपान की तुलना में अधिक हानिकारक है। बिहार के साथ-साथ दुनिया भर में लोग पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। सुरक्षित पेयजल की पहुंच के मामले में कुछ भारतीय शहर सबसे खराब स्थिति में हैं। इसीलिए हम सब को पर्यावरण को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है |
- पर्यावरण के लिए हानिकारक कचरे को निपटाने के लिए समुचित व्यवस्था करना।
- उच्च शिक्षण संस्थानों में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्रों में अनुसंधान स्थापित करना।
- विभिन्न समुदायों और समाज में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक स्व-प्रबंधन प्रणाली विकसित करना।
- पौधरोपण और वृक्षारोपण के बड़े कार्यक्रमों का आयोजन करना, ऐसे आयोजन में लोगों की सहायता करना और प्रोत्साहित करना।
- बिहार के कुल क्षेत्रफल का 7.76 % भाग वन क्षेत्र है |
- 2003 वर्ग किलोमीटर में फैला ट्री कवर एरिया |
- जल जीवन हरियाली योजना से आया ऐतिहासिक बदलाव |
- 10 वर्षों में लगाए गए 25 करोड़ पौधे |
बिहार ही नहीं देश के हर कोने-कोने में प्रत्येक वर्ष हम अपने ग्राम शिक्षा और सुचना केंद्र (GSSK) में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं। हमारे केंद्र में छात्र गाँवों के लोगों को पर्यावरण, जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के समुचित उपयोग, अधिक से अधिक पेड़ लगाने, पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का उपयोग करने, इत्यादि अन्य चीजों के लिए अपने चित्रों, भाषणों और जागरूकता रैली के माध्यम से समाज को जागरूक करते है |