aeb6d8f9 6e8b 42c5 9a6f 578c52bacb25 85

कब है जीवित्पुत्रिका व्रत जाने सुभ मुहूर्त :-

Also read: Dolly Chaiwala Viral Video : दुसरे को एक टपरी में चाय पिलाने वाला खुद बुर्ज खलीफा में पीते दिखा कॉफी, लोग बोल रहे डॉली भाई का जलवा है

हिंदू धर्म में जिवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व है | इस बार जिवित्पुत्रिका व्रत का पर्व 28 से 30 सितंबर तक मनाया जाएगा. जीवित्पुत्रिका का त्योहार महिलाएं बड़ी उत्साह के साथ मनाती है | यह व्रत बहुत ही कठिन होता है. इसमें माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं |

Also read: बिहारवासी हो जाए सावधान! पुरे प्रदेश में ज़ोरदार आँधी के साथ होगी बारिश वज्रपात का अलर्ट हो जाए सावधान इन क्षेत्रों का नाम है शामिल!

हिंदू पंचांग के अनुसार जीवित्पुत्रिका पर्व हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है |और हम आपको बता दे की जिबित्पुत्रिका वर्त महिलाये अपने बच्चो के अच्छे स्वस्थ और लम्बी आयु के लिए रखती है | और ये वर्त तीन दिनों का होता है | जो पूरा उपवाश की तरह रहता है | न पानी पीना है न कुछ खान है |

Also read: Bihar Weather : बिहार के लोगों को नहीं मिलने वाली है गर्मी से राहत इन 11 शहरों में भीषण ‘लू’ की अलर्ट! दिन पर दिन बढ़ रहा तापमान, जानिये…

ऐसे होता है जिबित्पुत्रिका वर्त :-

Also read: बिहार के इन क्षेत्रों में तेज बारिश की संभावना कई इलाके में वज्रपात के साथ भयंकर आंधी तूफ़ान, जानिये अपने क्षेत्र का हाल?

जितिया व्रत के एक दिन पहले महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा करती है. इसके बाद निर्जला जितिया व्रत रखतीं है. व्रत रखने के अगले दिन सुबह पारण करतीं है. पारण वाले दिन पर सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खाती हैं. जितिया व्रत वाले दिन पर झोर भात, मरुवा की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है |

तीन दिनों तक चलता है जीवित्पुत्रिका व्रत : संतान की सुख और समृद्धि के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत तीन दिनों तक चलता है. पहला दिन नहाए-खाए, दूसरा दिन जितिया निर्जला व्रत और तीसरे दिन पारण किया जाता है.

जितिया व्रत शुभ मुहूर्त 2021 : अष्टमी तिथि – 28 सितंबर की शाम 06 बजकर 16 मिनट से 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा

 जितिया व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी है. धार्मिक कथाओं के अनुसार महाभारत के युद्ध में अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा पांडवों के शिविर में घुस गया |

शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे. अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार दिया, लेकिन वे द्रोपदी की पांच संतानें थे. फिर अुर्जन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि ले ली.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...