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दोस्तों आज से दो साल पुराना दिन याद कीजिये 2020 की मार्च के आखिरी सप्ताह जब सारी चीजे बंद हो गई थी ट्रेन बस, ऑटो तब घर से दूर रह रहे मजदूर को पेट पर डाका पर गया था | कई कम्पनी वाले निकाल दिए मजदूर को कितने लोग पैदल चल दिए उसी समय की बात है |

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दरअसल मजदूरों ने आते समय अपना साइकिल प्रशाशन को तोकन लेकर सौंप दी थी लेकिन अब मीडिया के हवाले से खबर आ रही है कि उन सभी साइकिल को नीलाम कर दिया गया है | और इस नीलामी से सरकार ने लाखों की कमाई की है. वहीं प्रशासन का कहना है कि सिर्फ उन्हीं साइकिलों को नीलाम किया जा रहा है, जिनके मालिकों ने उन्हें वापस लेने से मना कर दिया है. प्रशासन के मुताबिक, जो भी पैसा इकट्ठा होगा उसे सरकारी खजाने में भेजा जाएगा.

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कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान लगे लॉकडाउन को आप भूले नहीं होंगे. दुकान, रेल, बस सब बंद और सड़कों पर तपती धूप में साइकिल से और पैदल अपने घर जाते हजारों मजदूरों की वो तस्वीरें तो आपको याद ही होंगी. उस समय बड़ी तादाद में मजदूर साइकिल से ही पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से पलायन करने लगे थे. क्योंकि सहारनपुर तीन राज्यों की सीमाओं से मिलता है,

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इस वजह से सहारनपुर पलायन कर रहे मजदूरों का हब बन गया था. बढ़ते संक्रमण के खतरे और यातायात बंद होने की वजह से सरकार ने मजदूरों को बसों में बैठाकर उनके घरों तक पहुंचाने का फैसला किया. इस दौरान जिन मजदूरों के पास साइकिल थीं, उनसे सहारनपुर में ही अपनी साइकिल छोड़ने के लिए कहा गया.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन साइकिल की गद्दियों पर लिखे नंबर का टोकन उन मजदूरों को दिया गया था, जिससे वे बाद में आकर अपनी साइकिल ले जा सके. करीब 25 हजार मजदूर अपनी साइकिल छोड़ गए थे. सहारनपुर के पिलखनी इलाके में स्थित राधा स्वामी सत्संग भवन में मजदूरों को क्वारंटीन किया गया था. बाद में वहीं से उन्हें बसों के जरिए घर पहुंचाया गया. इस दौरान वहां मजदूरों ने अपनी साइकिल छोड़ी थीं. इन्हें राधा स्वामी सत्संग भवन के एक खाली पड़े प्लॉट में रखा गया.

लॉकडाउन हटने के बाद करीब साढ़े 14 हजार मजदूर अपनी साइकिल ले गए. लेकिन अभी भी वहां 5400 साइकिल रखी हुई हैं. दो साल तक जब इनके मलिक इन्हें लेने के लिए नहीं आए, तो प्रशासन ने इन्हें नीलामी में बेचने का फैसला किया.

मजदूरों की रजामंदी के बाद लिया ये फैसला
सहारनपुर के डीएम अखिलेश सिंह का कहना है कि राधा स्वमी सत्संग भवन के कर्मचारियों ने साइकिल छोड़ने वाले सभी मजदूरों का फोन नंबर लिया था. जो साइकिल लेने नहीं पहुंचे, उनको फोन किया गया. मजदूरों का कहना है कि दूर होने के कारण वो साइकिल नहीं ले जा सकते हैं. इस कारण सभी साइकिलों को लावारिस घोषित कर नीलाम किया गया है.

जिला प्रशासन ने 5400 साइकिलों को नीलाम करने का नोटिस निकाला. नीलामी की बोली में 250 ठेकेदार शामिल हुए. बोली 15 लाख रुपये से शुरू होकर 21 लाख 20 हजार रुपये पर जाकर रुकी. सरकारी रेट पर एक साइकिल की कीमत 392 रुपए होती है. लेकिन कई गुना मुनाफा कमाने के चक्कर में ये ठेकेदार एक-एक साइकिल को 1200 से 1500 रुपए की बेच रहे हैं. कुछ साइकिल तो दो साल से बाहर पड़ी-पड़ी खराब हो गईं, जिसके बाद उन्होंने ग्राइंडर से काट दिया गया है.

वहीं एनडीटीवी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सहारनपुर के ठेकेदार जीतेंद्र का कहना है कि प्रशासन ने 5400 साइकिल को नीलाम करने की घोषणा की थी. उन्होंने 21 लाख रुपये में इनको खरीदा. बाद में जब साइकिलों की गिनती की तो पता चला कि सिर्फ 4000 साइकिल ही हैं. उनके मुताबिक नीलामी में इन साइकिलों को खरीदने में उन्हें घाटा हुआ है.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...