गरीबों की गाय कहीं जाने वाली बकरी सिर्फ दूध नहीं देती बल्कि सामाजिक समृद्धि के द्वार भी खोल रही है। पटना जिले मसौढ़ी की रहने वाली 100 से अधिक मुसहर समुदाय की महिलाएं बकरी पालन से अपनी जिन्दगी बदली है। बता दे की इसके अलावे बिहार के दरभंगा के किरतपुर की रहने वाली साढ़े तीन हजार भूमिहीन महिलाओं ने ढाई करोड़ की की कंपनी खड़ी कर इसे साबित कर दिया है।
बताया जा रहा है की जिन महिलाओं के पास आज से 5 साल पहले खेत में मजदूरी करना ही एकमात्र विकल्प था, आज बकरी बेचकर एक साल में 50 से 60 हजार रुपये कमा रही हैं। ये महिलाएं कमला फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाकर गांव में बकरी वाली दीदी के नाम से मशहूर हो गई हैं। इनमें से ज्यादातर महिलाओं के पति दिल्ली, हरियाणा गुजरात और मुंबई में मजदूरी करते हैं। आज ये महिलाएं पति के पैसे से नहीं बल्कि खुद कमाई से अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं।
आपको बता दे की कमला फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर नूतन देवी बताती हैं कि उनके घर में पहले खाने के लाले थे। आज उनके बच्चे निजी स्कूल में पढ़ते हैं और वह कर्ज लेने की बजाय कर्ज देती हैं। एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री ने इनके बिजनेस को बढ़ाने के लिए एक पिकअप वैन दी है। इसमें 6 लाख रुपये महिलाओं ने अपनी कंपनी के लाभ से लगाया है। पटना जिले के मसौढ़ी प्रखंड में भी सौ से अधिक महिलाओं ने बकरी पालन से जिन्दगी बदली है। बता दे की नबार्ड की मदद से बिहार के मधुबनी, सीतामढ़ी और जमुई की महिलाएं फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बना रही हैं।
20 महिलाओं ने मिलकर शुरू की थी कंपनी
जानकारी के अनुसार बिहार के दरभंगा के किरतपुर प्रखंड के गांव कल्याणा की 20 महिलाओं ने मिलकर मात्र 20 रुपये प्रति माह की बचत से समूह की शुरुआत की थी। साल 2016 में इन महिलाओं ने 36 बकरी से कंपनी की शुरुआत की थी। आज 17 हजर 600 बकरियां इनके पास हैं और 24 लाख रुपय शेयर कैपिटल है। कंपनी में सायमा परवीन, नूतन देवी, इंदु देवी, पवन देवी, हीरा देवी, जानकी देवी, संजीता देवी, शकुन देवी, गौरा देवी, कंचन देवी, रामरती देवी, गौरी देवी, रंजू देवी, अनार देवी, डोमी देवी, सीता देवी, माला देवी, ललिता देवी, दुलारी देवी और कुंती देवी हैं।