दोस्तों बड़े आदमी बन जाना बड़ा नहीं होता है बल्कि बड़े आदमी बनकर अपने से छोटे को अच्छी सीख और मार्गदर्शन देना ही महान आदमी को दर्शाता है | आज हम आपको बहुत ही रहम दिल जनसेवक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने एक ऐसी वृद्ध महिला को नया जीवन दिया जो कि काफी समय से बीमार थी, अपनी अस्वस्थता के कारण वे चलने फिरने में असमर्थ थी. उस बूढ़ी महिला ने काफी दिनों से कुछ खाना तक नहीं खाया था और अपनी इसी स्थिति में वह भगवान से यह प्रार्थना करती थी कि उसे अपने पास बुला लें |
इस महिला के बारे में तमिलनाडु के करूर जिले के डीएम टी अंबाजगेन को जानकारी मिली तो वह अपने आप को रोक नहीं पाए, और कलेक्टर साहब ने अपनी पत्नी से खाना बनाने के लिए कहा और उस खाने को टिफिन में पैक करवा कर के उस बूढ़ी महिला के घर जाने के लिए निकल पड़े, यह महिला चिन्नमालनिकिकेन पट्टी नामक एक स्थान पर एक टूटी फूटी झोपड़ी में रहती थी |
दरअसल, इस बुजुर्ग महिला के आसपास रहने वाले लोग भी इनके करीब नहीं आते थे और ना ही उनकी किसी भी तरह से कोई सहायता करता था, लेकिन जब इनके घर में डीएम साहब पहुंचे तो इनके घर का कायापलट हो गया सभी लोग इस बात को देखकर हैरान थे |
कि इतना बड़ा अफसर उस बूढ़ी महिला के घर में मेहमान बनकर आए थे, उस गरीब बुजुर्ग महिला को भी विश्वास ही नहीं हुआ वह कुछ समय के लिए एकदम स्तब्ध रह गई. तब डीएम साहब ने बुजुर्ग महिला से कहा कि माता जी मैं आपके लिए अपने घर से खाना बनवा कर लाया हूं, चलिए हम दोनों साथ में मिलकर खाना खाते हैं।
उस बूढी महिला के पास खाने के लिए उपयुक्त बर्तन भी नहीं थी | की वह खाती लेकिन फिर भी वो महिला ने डीएम सशब को कहा साहब मै केले के पत्ते पर खाती हू | मेरे पास बर्तन नहीं है खाओगे मेरे यहां dm साहब ने बोले क्यों नही जरूर खाऊंगा केले के पत्ते पर खाना ख़राब थोड़ी है |
यह सुनकर के डीएम साहब ने कहा यह तो बहुत ही अच्छी बात है, और उन्होंने खुद भी उसी केले के पत्ते पर खाना खाने की इच्छा जताई, इसके बाद डीएम साहब ने वृद्ध महिला साथ में बैठ कर के खाना खाया और उसके बाद बूढ़ी महिला को वृद्ध अवस्था पेंशन के कागज सौंप दिए और कहा कि “आपको बैंक आने की जरूरत नहीं होगी, आपको घर पर ही पेंशन मिल जाएगी” और इतना कह कर के डीएम साहब वापस अपनी गाड़ी में बैठ कर चले गए.