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अक्सर लोगों को यह कहते हुए आपने सुना होगा कि खेतीवाड़ी से क्या होगा इससे तो घर भी नहीं चल पाएंगे पर इन सब को गलत साबित किया है बेगूसराय के रहने वाले एक 10वीं में पढ़ने वाला बच्चा एकलव्य कौशिक ने। बेगूसराय का यह दसवीं क्लास का बच्चा मात्र 2700 रुपए की लागत से अपने इलाके में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू किया है। इन्होंने शुरुआत में 1000 पर लगाए। इनको ऐसा करते देख वहां के लोग कहा करते थे कि इस बच्चे का दिमाग खराब हो गया है परंतु एकलव्य का जुनून ने उन सभी लोगों को गलत साबित किया और एकलव्य आज उन स्ट्रौबरी के खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं।

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एकलव्य ने समाचार मीडिया बातचीत में कहां कि उन्होंने अपना यह सफर लॉकडाउन में शुरू किया था। शुरुआत में तो उन्हें इस खेती का कोई भी तजुर्बा नहीं था कि वह उसे कैसे प्रारंभ करेंगे, परंतु इनके इस चाह ने आज एक बड़ा मुकाम हासिल करवा दिया है। एकलव्य ने बताया कि उन्होंने यूट्यूब पर स्ट्रौबरी की खेती को लेकर जानकारी इकट्ठा किया। आगे उन्होंने उन लोगों से भी संपर्क किया जो पहले से स्ट्रौबरी की खेती करते आ रहे हैं और इसमें महारत हासिल किए हुए हैं।

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फूफा जी ने दिया साथ

उनके इस जुनून में उनके फूफा जी शैलेंद्र प्रियदर्शी ने भी उनका बखूबी साथ निभाया जो कि जूलॉजी के प्रोफेसर हैं। उन्होंने एकलव्य को यह भरोसा दिलाया कि उनके इस खेत की मिट्टी में स्ट्रौबरी उगाया जा सकता है। बिहार के बेगूसराय जिले के मंझौल गांव के रहने वाले एकलव्य ने बताया कि उन्होंने स्ट्रौबरी को लेकर एक लंबी रिसर्च किया।

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इसके बाद उन्होंने हिमाचल से खास किस्म के 1000 स्ट्रौबरी के पौधे मंगवाए जो कि मूलतः ऑस्ट्रेलियन थे। इसके बाद उन्होंने अपने खेत की अच्छे से जुताई की और यह सारे पौधे उसमें लगाए। आगे उन्होंने खेत की नमी बनाए रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई किया। उनकी यह मेहनत आज रंग लाने लगी और स्ट्रौबरी में फल लगने शुरू हो गए।

पहली बार मे कमाया इतना फायदा

एकलव्य बताते हैं कि आमतौर पर स्ट्रौबरी की खेती ठंडे प्रदेशों में किया जाता है परंतु अगर आप चाहे तो स्ट्रौबरी के लिए अनुकूल खेत और वातावरण बनाया जा सकता है। स्ट्रौबरी के फल आज आने के बाद एकलव्य को इस मात्र 1000 पेड़ो मे ₹60 हजार के फायदा का अनुमान है। एकलव्य बताते हैं कि लोकल मार्केट में अभी और स्टोरी स्ट्रॉबेरी 50 से लेकर ₹80 किलो तक बिक रहे हैं, वही बड़े बाजार में इसकी कीमत ₹600 किलो तक भी होती है।

ऐसे में मुझे लगभग60हजार के फायदे का अनुमान लग रहा है। एकलव्य इस फायदे को आगे के अपने प्रोजेक्ट में लगाएंगे और अगली बार एक बड़ा मुनाफा हासिल करेंगे। बिहार के दसवीं क्लास के बच्चे ने यह साबित कर दिया कि अगर मन में चाह हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...