हर एक की किस्मत में सफलता पाना आसान नहीं होता, मार्ग में कई रुकावटें बाधा बनकर सामने आती हैं। लेकिन इन रुकावटों को जो पार कर जाए, वही असली योद्धा कहलाता है। आज हम भी आपकों ऐसे ही एक शख्स के संघर्ष की कहानी बताने जा रहे है, जो आपको भीतर तक झकझोर देगी। जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं वो आज आईएएस अधिकारी बन गया है, नाम है राकेश शर्मा।

हर एक की किस्मत में सफलता पाना आसान नहीं होता, मार्ग में कई रुकावटें बाधा बनकर सामने आती हैं। लेकिन इन रुकावटों को जो पार कर जाए, वही असली योद्धा कहलाता है। आज हम भी आपकों ऐसे ही एक शख्स के संघर्ष की कहानी बताने जा रहे है, जो आपको भीतर तक झकझोर देगी। जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं वो आज आईएएस अधिकारी बन गया है, नाम है राकेश शर्मा।

संघर्ष की ये कहानी है दृष्टिहीन राकेश शर्मा की, जिन्होंने आंखों की रोशनी के बिना भी बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखा। जी हां.. राकेश शर्मा जब दो वर्ष के थे, तब उन्हें दवा रिएक्शन कर गई थी, जिसकी वजह से उनकी दोनों आंखें खराब हो गईं। उनकी स्थिति देखकर कभी लोगों ने परिजनों से उन्हें अनाथ आश्रम में छोड़ने को कहा था। लेकिन लोगों की बातों से बिना इत्तेफाक रखे परिजनों ने बेटे का पूरा साथ दिया।

राकेश शर्मा मूल रूप से हरियाणा के भिवानी जिले के छोटे से गांव सांवड़ के रहने वाले हैं। लेकिन पिछले 13 सालों से वो नोएडा के सेक्टर 23 में रह हैं। राकेश शर्मा का बचपन बेहद मुश्किलों से गुजरा है। वो एक सामान्य इंसान की जिंदगी जीने को भी तरसते रहे। उनकी आंखों की रोशनी जानें के बावजूद भी परिजनों का धैर्य और आत्मविश्वास कभी नहीं टूटा। परिवार ने उन्हें एक आम बच्चे की तरह पाला और हमेशा उनकी हिम्मत बढ़ाई।

राकेश शर्मा जब दो वर्ष के थे, तब उन्हें दवा रिएक्शन कर गई थी, जिसकी वजह से उनकी दोनों आंखें चली गई। राकेश के परिजनों ने उनका काफी इलाज करवाया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। राकेश का विजन पूरी तरह चला गया और वे बिलकुल भी देख नहीं सकते थे पर उन्होंने हमेशा अपनी पढ़ाई जारी रखी। राकेश बताते हैं कि बहुत कोशिशों के बावजूद उन्हें सामान्य बच्चों के स्कूल में एडमिशन नहीं मिला था। 

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...