ram singh ias : ज्यादातर अधिकारियों को आपने बड़ी-बड़ी गाड़ियों में अपने लाव लश्कर के साथ देखा होगा. उन्हें ये लाइफस्टाइल सरकार मुहैया कराती है. हालांकि उनकी इस जीवनशैली की वजह से आम आदमी आसानी से बात करने में कतराते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने देसी अंदाज के लिए सोशल मीडिया में छाए हुए हैं.

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वो एक IAS अफसर हैं लेकिन जिस अंदाज में वो सोशल मीडिया में दिखाई दे रहे हैं, उसे देखकर आपको यही लगेगा कि कोई आम आदमी ही है. सोशल मीडिया में उनकी पीठ पर टोकरी लेकर मार्केट में खरीदारी करने वाली तस्वीर बहुत पसंद की जा रही है. इस IAS अधिकारी का नाम राम सिंह है. उनकी दिनचर्या इनती साधारण है कि कोई भी शख्स धोखा खा सकता है कि ये आईएस अधिकारी हैं. आइए जानते हैं उनकी जीवनशैली के बारे में…

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राम सिंह मेघालय के एक IAS अधिकारी हैं. वो (ram singh ias) मेघालय के वेस्ट गैरो हिल्स, टुरा में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात हैं। इनकी उम्र 43 साल है. वो 2008 बैच के IAS अधिकारी है। इनके परिवार में इनके भाई भी आईएएस अधिकारी हैं.

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इन दिनो वो अपने कामों को लेकर सोशल मीडिया पर छाए हुए है। वो अपने साधारण जीवनशैली की वजह से चर्चा का विषय बने हुए हैं. वो स्वयं के वाहनों का उपयोग कम ही करते हैं. वो मानते हैं प्राइवेट वाहनों का इस्तेमाल जरूरत पर ही करना चाहिए. इससे प्रदूषण कम होगा साथ ही हम फिट भी रहेंगे.

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इसके अलावा वो एक साधारण सा झोला लेकर सब्जी लेकर जाते हैं. वो चाहते हैं कि प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो. पूरे परिवार के साथ वो आम लोगों और मजदूरों के साथ वाहन में सफर करते दिख जाते हैं बच्चों के साथ टहलते हैं. इसके अलावा स्थानीय निर्मित बांस की टोकरी का उपयोग करते हैं. इस टोकरी का उपयोग मुख्य रूप से आदिवासी करते हैं. वो इससे जलाने वाली लकड़ी लेकर जाते हैं

इसके लिए उन्होंने अपनी पीठ पर बांस की पारंपरिक टोकरी बंधी हुई है और वह पैदल खरीदारी कर रहे है। सब्जियों को खरीदने के लिए वह रोजाना 10 किलोमीटर पैदल अपने घर से ऑफिस तक का सफर करते है. इसके बीच में वह स्थानीय लोगो से सब्जियां और फल खरीदते है। 

राम सिंह पॉलीथिन का उपयोग करने से हमेशा बचते है, वह जब सब्जी लेने जाते है, तो किसी वाहन का भी उपयोग नहीं करते है। उन्होंने (ias ram singh lifestyle) तस्वीर के साथ लिखा है- “वीकेंड पर ऑर्गैनिक सब्जियों की 21 किलो की शॉपिंग, कोई प्लास्टिक नहीं, वाहन का प्रदूषण नहीं। इस तरह से वह जनता को भी सन्देश दे रहे है और काम से कम प्लास्टिक बेग का उपयोग करने की सलाह दे ते है। वह पैदल इसलिए चलते हैं कि फिट रहे और शरीर स्वस्थ रहे। 

उनका कहना है- ‘प्रदूषण रोकने के लिए जब लोगों से वाहन का उपयोग कम करने की सलाह दी तो लोग ने उनसे कहा की हमे सब्जियों के साथ पैदल चलने में मुश्किल होती है, जिसके बाद वो स्वयं लोगो को जागरूक करने के लिए बांस की टोकरी ‘कोकचेंग’ साथ लेकर चलने लगे और अन्य लोगो को भी ऐसा करने की सलाह दे रहे है। उनका कहना है की मैं पिछले 6 महीने से ऐसा कर रहा हूं और मुझे अब बेहतर लग रहा है, क्योंकि पैदल चलने से मेरा स्वास्थ भी ठीक रहता है। 

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...