AddText 03 09 08.37.24

ग़रीबी को मात देकर यूपीएससी परीक्षा के टॉप टेन में अपनी जगह बनाना आसान बात नहीं है।

संसाधनों से वंचित होकर भी सफलता की ऐसी कहानी लिखी है, शुभम गुप्ता ने।

एक बार आप अगर अपने लक्ष्य का निर्धारण कर लियें तो उसे प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास और जुनून होना अति आवश्यक है।

यह सामान्य है कि मंजिल तक पहुंचने के रास्ते में रुकावटें आएंगी,

लेकिन ये रुकावटे प्रायः हिचकोले लाती हैं, इनसे हमें डरना नहीं चाहिए।

वैसे तो शुभम अभी प्रशासनिक अफसर हैं परन्तु इस मुकाम तक पहुंचने के लिए इन्हें विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है।

शुभम गुप्ता (Shubham Gupta) राजस्थान (Rajasthan) से ताल्लुक रखतें हैं

लेकिन बचपन से हीं अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र में (Maharastra) रहते थे।

शुभम के घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। इनके पिता जी एक चप्पल की दुकान चलातें थें

जिससे इनका आजीविका चलता था। उस वक़्त इनके बड़े भाई वहां इनके साथ नहीं रहते थे,

वे आईआईटी की तैयारी के लिए बाहर पढ़ाई कर रहे थे। इसलिए शुभम को हीं अपने पिता की मदद करनी पड़ती थी,

अपने स्कूल का कार्य पूरा कर पिता के सहयोग के लिए दुकान पर बैठ जाते।

शुभम ने वर्ष 2015 में यूपीएससी का पहला अटेम्प्ट दिया लेकिन उसमें असफल हुए।

आगे बिना हार माने प्रयास करतें रहें और दूसरे अटेम्प्ट में इन्हें 366वीं स्थान प्राप्त हुआ।

यह इससे संतुष्ट नहीं थे, इसलिए तीसरा प्रयास किया जिसमें इन्हें निराशा हाथ लगी।

आगे इन्होंने फिर एक बार UPSC का एग्जाम दिया जिसमें इन्होंने अपना नाम टॉप टेन की लिस्ट में दर्ज किया।

वर्ष 2018 के यूपीएससी परीक्षा में 6वीं रैंक हासिल कर शुभम टॉपर रहें।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...