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IAS Pranjal Patil Success Story : आंखों को मानव जीवन का सबसे अनमोल रत्न माना जाता है. ऐसे में जिस शख्स को ये खजाना नहीं होता है उसे ही इसकी कीमत का अंदाजा होता है | ऐसे में बिना आंखों के देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफलता पाना अपने आप में हैरान करता है. हालांकि कड़ी मेहनत और एकाग्रता से लक्ष्य की ओर बढ़ने वाले शख्स के लिए ये भी बड़ी बात नहीं लगती है |

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आज हम जिस कहानी को आपसे साझा करने जा रहे हैं वो देश की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अधिकारी हैं. उनका नाम प्रांजल पाटिल है. एकतरफ इस परीक्षा में ज्यादातर लोग सफल नहीं हो पाते हैं, ऐसे में प्रांजल ने नेत्रहीन होते हुए ना सिर्फ इस परीक्षा में सफलता पाई बल्कि उन्होंने दो बार इस परीक्षा को पास किया और अच्छी रैंक भी हासिल की. आइए जानते हैं कैसे उन्होंने इस मुकाम को पा लिया.

इस झटके से वो निकल भी नहीं पाईं थी कि एक साल के भीतर ही उनकी दूसरी आंख की रोशनी भी चली गई. दोनों आखों की रोशनी के जानें के बाद वो पूरी तरह से टूट चुकी थीं. खुद को संभालते हुए उन्होंने हार नहीं मानी. इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई कभी नहीं रोकी. आखिर में उनकी मेहनत और हार ना मानने की जिद ने उन्हें सफलता दिला ही दी.

अपनी पढ़ाई के लिए प्रांजल ने टेक्नोलॉजी का सराहा लिया. इसमें उन्होंने एक खास सॉफ्टवेटर की मदद से पढ़ाई करना शुरू कर दिया. इस सॉफ्टवेयर में खासियत थी कि ये किताबों को पढ़-पढ़कर सुनाता था. इस सॉफ्टेवयर में वो किताबों को स्कैन कर देती थी जिसके बाद ये उनके लिए पढ़कर सुनाने लगता था.

इसकी मदद से उन्होंने अपनी यूपीएससी की तैयारी पूरी की. प्रांजल बताती हैं कि उन्हें इस तरह से पढ़ाई करने में काफी दिक्कत होती थी लेकिन सफलता की राह में उन्हें ये मुश्किलें तो झेलनी ही थी.

यूपीएससी की तैयारी से पहले प्रांजल ने काफी सरकारी नौकरियों में कोशिश की. पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से ज्यादातर नौकरियों में वो सिलेक्ट हो जाती लेकिन नेत्रहीन होने की वजह से उन्हें निकाल दिया जाता था. इन्हें एकबार भारतीय रेलवे ने नौकरी देने से मना कर दिया था | वहीं, साल 2016 में उनको यूपीएससी में 773वां स्थान मिला था. उस समय इंडियन रेवेन्यू सर्विस में नौकरी करने का मौका मिला लेकिन ट्रेनिंग के दौरान नेत्रहीन होने की वजह से उन्हें वहां से भी नौकरी देने को मना कर दिया था |

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...