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पिता एक मामूली दुकानदार थे, बेटी ने पैसों के अभाव में रहकर पढ़ाई कि और आज IAS है

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“जीवनपर्यन्त की सन्तुष्टि जो हमारे निजी जीवन और कार्य सार्थकता के तत्व को सृजति हैसफलता कहलाती है”। यह आवश्यक नहीं कि सफलता बड़ी चुनौती को पूर्ण करने से मिलेबल्कि छोटे-छोटे उद्देश्यों के सहारे आगे बढ़ना भी सफलता है। ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं जिन्हें ज़िंदगी में सुविधाएं मिलती हैं फिर भी वह कुछ बड़ा नहीं कर पातेजिससे उनका कल बेहतर हो। लेकिन कुछ ऐसे भी व्यक्ति हैं जो छोटी-से-छोटी इकाई को महत्व देते हुए |सफलता की ऐसी कहानी लिखते हैं जिससे वह सभी के दिलों में अपना स्थान बना लेते हैं।

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UPSC जैसे कठिन एग्जाम क्रैक करने के लिए हमारे देश के युवा कई वर्षों तक कोशिश करते रहते हैं।आज हम आपके सामने एक ऐसी लड़की की कहानी प्रस्तुत करने जा रहे हैं |जिसने अपने सेल्फ स्टडी के दम पर देश का कठिन एग्जाम UPSC को पास किया। यह परीक्षा उन्होंने बिना किसी कोचिंग ज्वाइन किए पास की और IAS ऑफिसर बनीं। उनके पिता दुकान चलाकर अपनी आजीविका चलाते, अब बेटी ने IAS ऑफिसर बनकर उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। आईए जानते हैं उनके बारे में…

नमामि की मां का नाम शरिता बंसल हैं। उन्होंने बताया कि मेरी बेटी घर के कामों में मेरा अक्सर हांथ बटाया करती थी साथ हीं पढ़ाई भी करती। आज उसकी सफलता से मुझे बहुत खुशी है और ये क्षण हमारी ज़िंदगी के बेहतर क्षण है जब हमारी बेटी IAS बनी है। बतौर आईएएस वह अपने उत्तराखंड के साथ राजस्थान में अपनी सेवाएं देना चाहती हैं।

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