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हमारा देश के नाम के पीछे कृषि का प्रयोग होता है आपने अक्सर कहीं पढ़ा होगा सुना होगा की हमारा देश कृषि प्रधान देश है | इसका मतलब साफ़ हुआ की हमारे देश के अधिकतर लोगो कृषि पर जीवित रहते है उनका सहारा कृषि है | अभी के समय में अगर आप कोई लोगो से पूछेंगे की आप खेती कियु नही करते तो इसका सीधा जवाब वो देते है खेती करने में फायदा कहा है | लेकिन हकीकत बिलकुल ऐसा नही है | अगर खेती को अच्छे तरीके से किया जाए तो उससे भी लोग लाखो रुपया कमा सकते है | आईये जानते है एक ऐसे ही शख्स के बारे में….

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ये किसान अपने खेतो में विदेशी अमरुद का खेती अपने जमीन पर उगा रहे है | और लाखो रुपये कमा रहे है | वो जिस अमरुद का खेती करते है उसका नाम है ताईवानी अमरुद आईये जानते है इस किसान के बारे में वो कहा के रहने वाले है कैसे करते है इस फसल की उपज के बारे में पूरी विस्तार से….

हम जिस किसान के बारे में बात करने जा रहे है उनका नाम है जीतेन्द्र पाटीदार वो भारत के खुबसूरत शहर मध्यप्रदेश के एक छोटे से जिले मंदसौर के रहने वाले है | इनके जिले मे भी खेती बहुत लोग करते है लेकिन इनका खेती करने का अंदाज़ ही कुछ अलग है | ये विदेशी अमरुद की खेती अपने गाव में करके लाखो की आमदनी करके एक मिसाल पेश करते है अपने आप में ….

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इस तरह के अमरूद को भी अपने खेत में बेहद आसानी से बोया जा सकता है। इस अमरूद के लिए भी बेहद साधारण जलवायु चाहिए होती है। इस तरह के अमरूद को उगाने के लिए पहले खेत की जुताई कर लें। इसके बाद खेत में लंबी-लंबी नालियाँ बनानी होती हैं। नाली बनाने में ध्यान रखें कि एक नाली से दूसरी नाली की दूरी नौ फीट ज़रूर हो। साथ ही पौधे को भी एक दूसरे से पांच फीट की दूरी पर ही लगाएँ। सब कुछ करने के बाद पौधे को ज़मीन में अच्छी गहराई में दबाकर लगा दें। साथ ही पानी भी दे दें।

ये खूबिय है इस अमरुद की

  • इस फल तोड़ने के आठ दिनों तक खराब नहीं होता, इसलिए ट्रांसपोर्ट (Transport) में आसानी रहती है।
  • दूसरे पेड़ों के मुकाबले इसमें फल मात्र 6 महीने बाद ही आने शुरू हो जाते हैं।
  • ये अमरूद अंदर से हल्के गुलाबी रंग का होता है, साथ ही दूसरे अमरूद के मुकाबले ज़्यादा स्वाददार होता है।
  • इसके फल का वज़न 300 से 800 किलोग्राम तक चला जाता है, जिससे आमदनी अच्छी हो जाती है।
  • इसमें लगातार फल लगते रहते हैं, ऐसे में किसी विशेष मौसम में फल ना लगने या खराब हो जाने से कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...