AddText 05 07 12.22.05

कोरोना संक्रमित व्यक्ति जिन्हें स्वाद और गंध का एहसास नहीं हो रहा है उनके लिए यह राहत भरी खबर है, ऐसे मरीज गंभीर होने के खतरे से दूर हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में 220 मरीजों पर हुए रिसर्च में यह खुलासा हुआ है।

Also read: Gold Price Today : एका-एक गिर गया सोना चांदी का दाम कीमत जान खुश हो जायेंगे आप, जाने कितनी कम हुई कीमत

शोधकर्ता डॉ. हरेन्द्र कुमार का कहना है कि रिसर्च के लिए दो कैटेगरी बनाई गई है। इसमें एक कैटेगरी में उन मरीजों को लिया गया है जिन्हें स्वाद और गंध नहीं मिल रही थी। दूसरे एक कैटेगरी उन मरीजों की थी जिन्हें स्वाद और गंध मिल रही थी।

Also read: किउल-दरभंगा-मधुबनी से होकर सियालदह और जयनगर के बीच चलने जा रही है समर स्पेशल ट्रेन, मिलेंगे कन्फर्म टिकट खाली है सीट!

इन दोनों में तुलानात्मक अध्ययन किया गया तो पता चला स्वाद और गंध नहीं पाने वाले कुल नौ मरीज भर्ती हुए और जिन्हें स्वाद और गंध मिल रही थी उनमें 34 लोग अस्पताल में भर्ती हो गए। इनमें आठ लोगों की मौत भी हो गई।

Also read: बिहार के इन 8 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट, मिलेगी गर्मी से राहत जान लीजिये अपने क्षत्रों का हाल

शोधकर्ता ईएनटी विभाग के डॉ. हरेन्द्र कुमार का कहना है कि रिसर्च में यह देखा जाना था कि कोरोना वायरस का हमला स्वाद और गंध पर किस तरह डालता है। मरीज किस हद तक गम्भीर होते हैं। डॉ. हरेन्द्र कुमार का कहना है कि मेरठ मेडिकल कालेज ने भी इस पर रिसर्च किया जा रहा है यहां भी लगभग 50 मरीजों में इस तरह की फाइंडिंग मिली है। इस विषय पर वह रिसर्च पेपर लिख रहे हैं।

Also read: बिहार के इस रूट पर पूरा हो गया दोहरीकरण का काम लोगों का महीनों का इन्तजार हुआ पूरा, जाने पूरी बात…

ओलिफेक्टिरी ग्रंथि प्रभावित होने से ब्रेन व फेफड़े सुरक्षित रहे
डॉ. हरेन्द्र कुमार का कहना है कि जांच में पता चला कि नाक में पाए जाने वाले ओलिफेक्टिटरी ग्रंथि पर कोरोना का जबरदस्त हमला हुआ। कोरोना वायरस यही ठहरा रहा और न वह ब्रेन की ओर जा सका और न ही फेफड़े में उतर सका। ऐसे में ब्रेन और श्वसन तंत्र सुरक्षित रहे। मरीज एक्यूट आर्गन फेल्योर से बचे रहे।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...