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यूपीएससी परीक्षा देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है. इस परीक्षा को प्रतिभागी अपनी रणनीति और मेहनत से पास करते हैं. सटीक रणनीति और कुछ नया सीखने की इच्छा रखने वाले प्रतिभागी इस परीक्षा में जल्दी सफलता हासिल कर लेते हैं. आज हम आपको आईएएस सृष्टि देशमुख

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कस्तूरबा नगर इलाके की रहने वाली सृष्टि देशमुख एक मीडिल क्लास फैमिली से संबंध रखती हैं. उनके पिता का नाम जयंत देखमुख और माता का नाम सुनीता देशमुख है. पिता एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर के तौर पर कार्यरत हैं. वहीं, माता एक प्राइमरी स्कूल में बच्चों को पढ़ाती थी.

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परिवार का पढ़ाई में रुझान पहले से ही था इसलिए सृष्टि को पढ़ाने में माता पिता ने हर कोशिश की. उनकी शुरुआती पढ़ाई भोपाल के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल से हुई. बचपन से ही वो पढ़ाई में काफी अच्छी थी. उन्होंने 12वीं क्लास में 93 फीसद अंक हासिल किए थे. इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद उन्होंने भोपाल से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.

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सृष्टि ने एक साक्षात्कार में बताया था कि जब वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थीं तभी उनके दिमाग में यूपीएससी परीक्षा देकर सिविल सेवा करने का विचार आया. वो कहती हैं कि उन्हें इंजीनियरिंग के बाद एक सामान्य जीवन जीना अच्छा नहीं लग रहा था. इंजीनियरिंग के तीसरे साल की पढ़ाई के साथ साथ वो यूपीएससी की तैयारी में पूरी तरह से जुट गई थी. साल 2018 में केमिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा के साथ उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी. कमाल कि बात ये हैं कि उन्हें दोनों परीक्षाओं में सफलता हासिल हो गई.

सृष्टि इंटरनेट को पढ़ाई के लिए एक वरदान के तौर पर देखती हैं. इसके साथ ही वो ये भी कहती हैं कि इंटरनेट काफी भटकाऊ है. यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में लगन से पढ़ाई करना बहुत जरूरी होता है. इंटरनेट के सोशल नेटवर्किंग साइट्स आपका ध्यान भटका सकते हैं. इसलिए कोशिश करें की कम से कम इनका उपयोग करें. अगर आपको पढ़ाई में कही दिक्कत आ रही है तो आप इंटरनेट का सहारा ले सकते हैं. सृष्टि ने अपनी पूरी यूपीएससी की तैयारी इंटरनेट की मदद से ही की .

पढ़ाई के दौरान उन्होंने सोशल नेटर्वकिंग अकाउंट को बंद कर दिया था. व्हॉट्सएप, फेसबुक और टि्वटर जैसे प्लेटफार्म को अपने स्मार्टफोन से हटा दिया था. इसके अलावा उन्होंने दोस्तों के साथ घूमना, पार्टी आदि भी पूरी तरह से खत्म कर दिया था. तैयारी के दौरान वो सोचती थी कि अगर वो आज अच्छी तरह से पढ़ाई कर लेती हैं तो आगे चलकर वो बहुत अच्छा कर सकती हैं.

परीक्षा की तैयारी को लेकर वो कहती हैं कि यूपीएससी का सिलेबस काफी विस्तृत होता है. अलग अलग विषयों के लिए अलग-अलग किताबों को पढ़ना होता है. वो कहती हैं कि कोशिश करें सीमित पढ़ाई करें. रणनीति बनाकर तैयारी करने से कम मेहनत में सफलता हासिल हो जाती है. सृष्टि ने पिछले कुछ सालों के सवालों के आधार पर तैयारी की. इन सवालों को बार बार लिखकर खूब प्रैक्टिस की. इसके अलावा एनसीआरटी की किताबों से पढ़ाई कर नोट्स भी तैयार कर लिए थे.

5वीं रैंक हासिल कर बनी टॉपर

सृष्टि देशमुख की कड़ी मेहनत, लगन और सटीक रणनीति की बदौलत उन्हें यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल हो गई. साल 2018 में उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में परीक्षा पास कर ली. इस परीक्षा में उन्हें 5वीं रैंक हासिल हुई. बता दें कि साल 2018 में महिलाओं में अव्वल स्थान पर रहीं. उनकी इस कामयाबी से माता पिता बहुत खुश हुए. उन्हें साल 2019 में मध्य प्रदेश कैडर मिला. फिलहाल वो मध्य प्रदेश में ही कार्यरत हैं.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...