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बिहार का स्वास्थ्य विभाग इन दिनों डॉक्टरों और पारा मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। कोरोना महामारी के दौर में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ का कमी होना, इस आपदा से निपटने की समस्या को और बढ़ा देता है। ऐसे में बिहार सरकार ने जल्द ही डॉक्टरों और पारा मेडिकल स्टाफ की नियमित बहाली का निर्णय लिया है।

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मुख्यमंत्री के निर्देश पर शनिवार को एक हाई लेवल मीटिंग की गई। इसमें तय किया गया कि बिहार में जितनी रिक्तियां हैं, जल्द ही उसको भरा जाएगा। डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कमी को लेकर दैनिक भास्कर ने अक्सर सवाल उठाया था।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों की नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया है। कहा है कि Walk-in-Interview प्रक्रिया के माध्यम से हर जिले में आवश्यकतानुसार चिकित्सकों और पारा मेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाए।

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मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई, जिसमें निर्णय लिया गया कि चिकित्सकों और पारा मेडिकल स्टॉफ के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया को जल्द ही पूरी की जाए।

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बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार के अलावा स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, बिहार तकनीकी सेवा आयोग के अध्यक्ष अजय कुमार चौधरी और राज्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार सहित संबंधित अधिकारी मौजूद थे।

स्वास्थ्य विभाग ने पिछले साल 16 मई 2020 को पटना हाई कोर्ट को बताया था कि राज्य में डॉक्टरों के कुल 11645 स्वीकृत पदों में से 8768 खाली पड़े हैं। इन 8768 खाली पड़े पदों में 5600 पद ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। बिहार में 75 फीसदी डॉक्टर के पद खाली हैं, फिर भी जो डॉक्टर इस कोरोना की लड़ाई में लगे हैं, दिन-रात काम कर रहे हैं।

2877 डॉक्टर अभी लगातार अस्पताल में काम कर रहे हैं। लगभग 75 फीसदी नर्स के पद खाली हैं। 5068 नर्स बिहार के अलग-अलग अस्पतालों में काम कर रही हैं। यह पद अभी तक भरे नहीं गए है। अब बिहार सरकार ने निर्णय लिया है तो देखना है कि प्रक्रिया कब तक पूरी होती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को भेजे गए पत्र में कहा है कि हमारे डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर पिछले 14 महीने से बिना छुट्‌टी के लगातार काम कर रहे हैं। काम करते-करते डॉक्टर और हेल्थ वर्कर थक गए हैं। इसमें 15% तो कोरोना से संक्रमित होकर टूट गए हैं। कई डॉक्टर और अन्य हेल्थ वर्कर तो अपनी जान भी गंवा चुके हैं।

IMA ने कहा है कि महामारी तो छोड़ दीजिए, अब तो सामान्य हालात को देखते हुए भी डॉक्टर्स और हेल्थ वर्करों की भारी कमी है। कोविड के खिलाफ इस लड़ाई में डॉक्टर्स, पैरा मेडिकल्स, नर्सेज और दूसरे स्टाफ की बड़ी संख्या में जरूरत है। क्योंकि आने वाला हर दिन चुनौतियों से भरा है। अगर भर्ती नहीं की गईं तो आने वाले समय में काफी नुकसान हो सकता है।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...