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अधिकांश लोगों के लिए शिक्षा सिर्फ पैसा कमाने और आगे बढ़ने का जरिया है। लेकिन 25 साल के दीपक ऐसा नहीं सोचते। उनके अनुसार शिक्षा का फायदा तभी है, जब वह किसी जरूरतमंद के काम आ सके। अपनी इस सोच के चलते दीपक ने इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरी की राह नहीं पकड़ी बल्कि किसानों के लिए एक ऐसी किफायती हार्वेस्टिंग मशीन बनाने में जुट गए, जिससे उनकी बंजर पड़ी सैंकड़ों एकड़ जमीन को खेती के योग्य बनाया जा सके।  

दीपक ने मीडिया से बात करते हुए बताया की “जब मैंने आसपास के किसानों से पूछा कि ये सैकड़ों एकड़ जमीनें सालों से बंजर क्यों पड़ी हैं? तब उन्होंने बताया कि पत्थरों के मलबे के कारण वहां खेती कर पाना संभव नहीं है। ज़मीन से पत्थरों को हटाने में काफी खर्च आता है। पहले जमीन को साफ करने के लिए पैसे लगाओ और फिर खेती पर, इतना खर्च उठा पाना उनके लिए संभव नहीं है। पांच-सात एकड़ जमीन पर खेती करने वाला सीमांत किसान इस पर हजारों रुपये खर्च नहीं कर सकता।”

नारायणखेड़ जिले के कांगती गांव के किसान संतोष राजपूत ने कहा, “मैंने दीपक के हार्वेस्टर का ट्रायल लिया है। यह शानदार काम करता है। मेरे पास 30 एकड़ जमीन है। लेकिन सिर्फ 15 एकड़ जमीन पर ही खेती कर पाता हूं। बाकी की जमीन पर पत्थर और चट्टानें हैं। अगर मैं उस पर फसल उगाने की कोशिश भी करूं, तो गर्मी के दिन में पत्थर गर्म हो जाते हैं और उच्च तापमान के कारण पौधे मर जाते हैं।”

संतोष ने बताया कि गांव के एक किसान ने इस काम के लिए तुर्की से ऐसी ही एक मशीन मंगवाई थी। उसकी कीमत 12 लाख रुपये थी। फिर भी रिज़ल्ट इतना अच्छा नहीं रहा। दीपक की बनाई मशीन उससे काफी ज्यादा बेहतर है और इसकी कीमत भी सिर्फ तीन लाख रुपये है। वह कहते हैं, “अगर किसान चाहें, तो मिलकर इसे खरीद सकते हैं या फिर किराये पर ले सकते हैं।”

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...