संघर्ष इतने ख़ामोशी से करना चहिये की सफलता शोर मचा दे | दिव्यान्गता कोई अभिशाप नहीं | शारीरिक अक्षमता ऊपर वाले की देन है | इससे कभी मन दुखी नहीं करनी चाहिए | जो लोग एकाग्र होकर संघर्ष करते है वे जिंदगी का हर मुकाम पा सकते है | चाहे वो दिव्यांग ही क्यों न हो | ऐसा ही संघर्ष की कहानी है तमिलनाडु के डी रंजित की |