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बिहार में पंचायत चुनाव से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है कि प्रदेश सरकार पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन की तैयारी कर रही है.

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माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव में थोड़ी देरी हो सकती है. ऐसे में अगर ग्राम पंचायत के चुनाव अगर समय पर नहीं हुए तो पंचायतें अवक्रमित होंगी.

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इसके बाद पंचायती राज व्यवस्था के तहत होने वाले कार्य अधिकारियों के हवाले किए जा सकते हैं. अगर यह संशोधन होता है

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तो जब तक नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण नहीं हो जाता, तब-तक जिम्मेदार अधिकारी ही योजनाओं का क्रियान्वयन कराएंगे.

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मिली जानकारी के अनुसार अधिनियम में संशोधन करने के बाद इससे संबंधित दिशा-निर्देश जिलों को जारी कर दिये जाएंगे.

पंचायती राज का कार्य जिलाधिकारियों के माध्यम से अधीनस्थ पदाधिकारियों को दिये जाएंगे.

वार्ड, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के तहत होने वाले कार्य प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा कराए जाएंगे. वहीं जिला परिषद के माध्यम से होने वाले कार्य को उप विकास आयुक्त कराएंगे.

उन्हीं के पास सारे अधिकार होंगे. चूंकि अभी विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा है, इसलिए अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम में संशोधन किया जाएगा.

बाद में विधानमंडल सत्र से भी इसे पारित कराया जाएगा.गौरतलब है कि 15 जून तक पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल है. इसके पहले नया निर्वाचन नहीं होने की स्थिति में मुखिया-प्रमुख आदि के अधिकार छिन जाएंगे.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसे में अफसरों को उनकी जिम्मेदारियां दी जाएंगी. पंचायती राज अधिनियम में इसका प्रावधान नहीं किया गया है

कि चुनाव समय पर नहीं होंगे तो त्रि-स्तरीय व्यवस्था के तहत होने वाले कार्य किनके माध्यम से संपन्न कराए जाएंगे, इसलिए अधिनियम में संशोधन किया जाना अनिवार्य होगा.

राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव आयोग पर भेदभाव का आरोप लगाया है. बिहार निर्वाचन आयोग का कहना है कि चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़ और राजस्थान को पंचायत चुनाव कराने के लिए इस्तेमाल होने वाले ईवीएम मशीनों की आपूर्ति के लिए मंजूरी दे दी है

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