बिहार में प्रमंडलवार पंचायत चुनाव के लिए महिला स्टाफ को भी ड्यूटी करनी पड़ सकती है।

राज्य में पंचायत आम चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने दिशा-निर्देश जारी किया है।

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इस दिशा-निर्देश के मुताबिक मतदान कर्मियों के लिए विधानसभा चुनाव के डेटाबेस का इस्तेमाल किया जाएगा

और कर्मियों की कमी होने पर महिला कर्मचारी और पड़ोसी जिलों से कर्मियों की भरपाई की जाएगी।

राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव योगेंद्र राम ने जारी निर्देश में कहा कि

एक ही जिले में दो तिथियों में पंचायत चुनाव नहीं कराये जायेंगे।

सारी तैयारी ऐसे करनी है कि एक जिले का चुनाव एक दिन में ही संपन्न हो जाए।

सचिव ने कहा कि इस पंचायत चुनाव में मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ेगी।

उन्होंने कहा है कि सामान्य क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर कर्मियों की रवानगी क्लस्टर से उसी दिन होगी,

जबकि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चुनाव के लिए कर्मियों को संबंधित क्लस्टर पर आवासन के लिए दो दिन पहले ही भेज दिया जाएगा।

तहत एक जिले की सभी पंचायतों में एक ही दिन में चुनाव संपन्न होगा।

एक जिले में किसी भी स्थिति में चुनाव के लिए दो तिथि निर्धारित नहीं होगी।

राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव योगेंद्र राम ने सोमवार को बताया कि तीन-चार प्रमंडल के तीन-चार जिलों में एक ही साथ चुनाव कराए जा सकते हैं।

बूथों की संख्या और जिलों के लिए ईवीएम की उपलब्धता के आधार पर इसका निर्धारण किया जाएगा।

छोटे जिलों को बड़े जिलों के साथ जोड़कर भी चुनाव कराने कराए जा सकेंगे। 

डाटा एंट्री ऑपरेटर पर नजर रखने का आदेश
आयोग ने कहा है कि अक्सर ऐसी शिकायत मिलती है कि डाटा एंट्री ऑपरेटर की मिलीभगत से कुछ कर्मचारी चुनाव ड्यूटी से बच जाते हैं।

डाटा एंट्री ऑपरेटर जानबूझकर कुछ कर्मचारियों के नाम सूची से हटा देते हैं, जिससे वे चुनाव ड्यूटी से बच जाते हैं।

सचिव ने इस बार ऐसे ऑपरेटरों पर नजर रखने व शिकायत मिलने पर कार्रवाई का निर्देश दिया है।

इतना ही नहीं संबंधित सूचना विज्ञान पदाधिकारी यह लिखित में आयोग को भेजेंगे

कि डाटा में शामिल सभी कर्मचारियों की तैनाती की गई है। डाटा में शामिल होने से कोई नाम बचा नहीं है

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...