क्या एक दूसरे को ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहे पासवान चाचा-भतीजा के बीच सुलह की कवायद शुरू हो गयी हैं. संकेत ऐसे ही मिल रहे हैं. चिराग पासवान आज दिल्ली से पटना लैंड करने के साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसियेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सहजानंद सिंह से मुलाकात करने उनके घर पहुंच गये. बंद कमरे में दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई. सूत्रों के हवाले से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक ये चाचा-भतीजा के बीच युद्ध विराम की कवायद थी.

पहले हम आपको डॉ सहजानंद सिंह के बारे में बता दें. पटना के बड़े सर्जन हैं. मेडिकल क्षेत्र में इतनी पैठ है कि देश में डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन आई एम ए के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जा चुके हैं. राजनीति में सक्रिय नहीं हैं लेकिन राजनेताओं से बेहद मधुर ताल्लुकात के लिए जाने जाते रहे हैं. बिहार के कई राजनेताओं से डॉ सहजानंद सिंह का बेहद नजदीकी संबंध रहा है.

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डॉ सहजानंद सिंह का रामविलास पासवान के पूरे परिवार से बेहद अंतरंग संबंध रहा है. वे स्व. रामविलास पासवान के नजदीकी तो थे ही पशुपति कुमार पारस से भी उनके बेहद करीबी संबंध रहे हैं. लोजपा के सूत्र बता रहे हैं कि डॉ सहजानंद सिंह से कुछ दिनों पहले चिराग पासवान की फोन पर बातचीत हुई थी.

दोनों में तय हुआ था कि जब चिराग पटना आयेंगे तो मुलाकात होगी. चिराग पासवान ने खुद कहा था कि वे सहजानंद सिंह के घर आ जायेंगे. उसी बातचीत के बाद चिराग पासवान जब गुरूवार को दिल्ली से पटना पहुंचे तब सबसे पहले डॉ सहजानंद सिंह के घर पहुंच गये.

चिराग जब दिल्ली से पटना पहुंचे तो एयरपोर्ट पर उनके स्वागत में दर्जनों गाड़ियां थी. चिराग पासवान ने ज्यादातर नेताओं को श्रीकृष्णापुरी आवास पर रहने को कहा. कुछ चुनिंदा नेताओं के साथ वे राजेंद्रनगर स्थित सहजानंद सिंह के आवास पर पहुंच गये.

पहले ड्राइंगरूम में औपचारिक मुलाकात हुई औऱ फिर सहजानंद सिंह के साथ चिराग पासवान बंद कमरे में चले गये. दोनों के बीच उस कमरे में तकरीबन आधे घंटे तक बातचीत हुई. चिराग पासवान ने अपने करीबी नेताओं को भी नहीं बताया कि बंद कमरे में क्या बातचीत हुई.

दरअसल डॉ सहजानंद सिंह फिलहाल पशुपति कुमार पारस के करीबी मित्र हैं. वे पहले ही पशुपति पारस से पारिवारिक विवाद पर बात करप चुके हैं. लोजपा में टूट के बाद सहजानंद सिंह की तीन दफे पशुपति पारस से मुलाकात भी हुई है. जो खबरें सामने आ रही हैं उसमें सहजानंद सिंह ने बंद कमरे में चिराग पासवान को पशुपति पारस के साथ मेल जोल कर लेने की सलाह दी.

जानकारों की मानें तो मंत्री बनने के बाद पशुपति कुमार पारस भी चाहते हैं कि भतीजे से समझौता हो जाये. मंत्री बनने की उनकी इच्छा पूरी हो चुकी है. अगली इच्छा अपने बेटे यशराज पासवान उर्फ मुस्कान को चुनाव लडाने की है. उनकी बहुत ज्यादा इच्छा पार्टी चलाने की नहीं है. सियासी जानकार भी देख रहे हैं कि हालिया दिनों में पशुपति पारस ने चिराग पासवान के खिलाफ बयान देना छोड़ दिया है.

उधर चिराग पासवान भी झमेले से बचना चाहते हैं. पहले भी उन्होंने आखिरी दम तक चाचा से समझौते की कोशिश की थी. जानकार बता रहे हैं परिवार के कई और सदस्य चाचा-भतीजे के बीच समझौते की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में सहजानंद सिंह की पहल रंग ला सकती है. लेकिन इसमें कई बातें तय होनी है. फिलहाल ये कहना की समझौता हो ही जायेगा, ये जल्दबाजी होगी.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...