AddText 07 19 03.04.24

कोरोना महामारी के कारण के कारण पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गई और लोग बेरोजगार हो गए. कैलिफोर्निया के जोस नाम के टीचर पर भी इसकी दोहरी मार पड़ी है. उनके पास आय का कोई स्त्रोत नहीं बचा, हालत ये हो गई कि वो अपने कार में ही रहने को मजबूर हो गए. उनके पास जो भी पैसे होते थे वो अपने परिवार के खर्चे के लिए दे देते थे.

Also read: Meet IAS Officer Abhishek Saraf Abhishek was successful in all three attempts but did not stop until he got the post of IAS.

दरअसल, कोरोना के कारण जब से स्कूल बंद हुए तब से जोस पर पैसों का बहुत अभाव हो गया. वैसे तो गुरु को बच्चों का जीवन बनाने वाला माना जाता है लेकिन जोस की आर्थिक तंगी से गुजर रही जिंदगी को पटरी पर लाने का काम उनके एक छात्र स्टीवन ने किया.

Also read: Success Story: Nupur Goyal’s Inspiring Journey Overcoming Failures, Not Giving In, and Becoming an IAS Officer on the Sixth Attempt.

प्यूपल डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्टीवन ने कहा कि वो जब भी घर से बाहर काम के लिए निकलता तो अपने टीचर को दिन की शुरूआत कार में से ही करते देखा. इसके बाद स्टीवन ने सोचा कि वो अपने गुरु के लिए कुछ तो ऐसा करेंगे कि जिससे उनकी आर्थिक तंगी दूर हो. इसके बाद स्टीवन ने एक फंड रेजिंग एकाउंट बनाया और उसमें पैसे इकट्ठा करना शुरू किया. 

Also read: IAS Success Story: Navya, Who Cleared UPSC Exam on Her First Attempt, Shares Exclusive Tips to Crack the Exam within a Year – Read!

स्टीवन का कहना है कि हमारा लक्ष्य 5 हज़ार डॉलर इकट्ठा करना था लेकिन हमने लक्ष्य से 6 गुना ज्यादा पैसा इकट्ठा किया. इसके बाद गुरुवार को गुरु जोस का 77वां जन्मदिन आया तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनको इस तरह का सरप्राइज मिलेगा. स्टीवन और बाकी दोस्तों ने टीचर को हैप्पी बर्थ डे विश किया और उनके जन्मदिन के तोहफे में उनके हाथ मे 27 हजार डॉलर का चेक थमा दिया.

Also read: Meet IAS Officer Amit Kale Amit Shares Special Tips for Cracking Exams, Succeeding in Two out of Four Attempts, Read His Unique Strategies

जोस ने कहा कि मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा, मेरे लिए यह चौंकाने वाला था. कभी मैंने सरप्राइज की उम्मीद नहीं खी थी. वहीं अपने टीचर की जिंदगी को खुशियों से भरने वाले स्टीवन ने कहा कि उस व्यक्ति की मदद करना किसी सम्मान से कम नहीं है, जो बहुत से बच्चों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम करता हो.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...