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अगर बात करें सरकारी काम की तो वह हमेशा लेट होता है और कभी-कभी तो दफ्तर के चक्कर काटते काटते उम्र बीत जाती है लेकिन काम कभी नहीं हो पाता। इंसान चला जाता है लेकिन सरकारी दफ्तर का काम कभी नहीं होता। लेकिन ऐसे ही सरकारी दफ्तरों में कुछ अफसर ऐसे भी होते हैं.

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जो इन सब से हटकर होते हैं और अपने कार्यों से लोगों के दिलों में अपनी जगह बना लेते हैं और हमेशा हमेशा के लिए याद किए जाते हैं। ऐसी है खबर यूपी यूपी के उन्नाव जिले से आ रही है उन्नाव में सिटी मजिस्ट्रेट ने एक मिसाल पेश की है। उन्होंने ना बल्कि एक बेटी की गुहार को सुना उस पर एक्शन ले कर सिर्फ 5 घंटे में उसकी समस्या को दूर किया। उनके इसी कार्य को लेकर पूरा गांव सिटी मजिस्ट्रेट को धन्यवाद कर रहा है।

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बात करें इस घटना की तो मामला कुछ ऐसा है कि बीकापुर तहसील में एक छोटा सा गांव है सलेथु । इस गांव में दिनेश तिवारी नमक 1 आदमी रहता है है जो कि कानपुर में छोटी सी दुकान में नौकरी करता है। उनके अपने गांव में 2 बीघा की पैतृक जमीन थी जोकि गंगा एक्सप्रेसवे बनाने के कारण अधिग्रहण कर लिया गया। दिनेश ने 25 मई को भूमि की रजिस्ट्री सरकार के नाम करवा दी थी.

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इसी बीच उनकी बड़ी बेटी आरती की शादी भी हो गई थी आरती की शादी 17 जून को होनी थी। दिनेश को पूरी उम्मीद थी कि शादी का समय आते आते उन्हें यह मुआवजा मिल जाएगा और सारी कागजी कार्रवाई करने के बाद 15 जून तक उनके खाते में पैसे आ जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दिनेश पैसा ना आने के कारण परेशान होकर इधर उधर घूमने लगे।

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अपने पिता की ऐसी हालत देखकर उनकी बेटी आरती काफी परेशान हो गई और अपने पिता की इज्जत बचाने के लिए उन्होंने हिम्मत कर कर 15 जून सुबह करीब 10:00 बजे आप अपने सिटी के मजिस्ट्रेट चंदन कुमार पटेल को व्हाट्सएप पर एक मैसेज भेजा।

उन्होंने उस मैसेज में अपनी सारी समस्या और दर्द मजिस्ट्रेट साहब को सुनाया। उन्होंने अपने मैसेज में मजिस्ट्रेट साहब को बताया कि मुआवजा न मिलने के कारण मेहमानों का सत्कार आभूषण व अन्य सामान की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। अब अगर हमें पैसे नहीं मिले तो शादी करने की नौबत तक आ सकती है।

आरती ने अपने मैसेज में कहा कि पिता की इज्जत और मेरी शादी दोनों की रक्षा करने की जिम्मेदारी तक उनके हाथ में है। आरती के इस मैसेज से सरकारी सरकारी सिस्टम पिघल गया । मैसेज को पढ़ने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने उसी समय बची हुई सारी कागजी कार्रवाई को पूरा करवाया.

और उसी दिन दोपहर करीब 3:00 बजे आरती के पिता के खाते में 20 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए । पैसे मिलने के बाद आरती के पूरे परिवार ने राहत की सांस ली और मजिस्ट्रेट साहब को व्हाट्सएप पर मैसेज कर कर धन्यवाद कर उन्हें लिखा कि पैसा मिल गया है हमारी इज्जत और मेरी शादी बचाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...