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दोस्तों, अगर हमारे इरादे पक्के हैं तो कोई भी परेशानी हमारे रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती है। बशर्ते हम किसी भी मुसीबत का सामना करने के लिए तैयार रहें और अपने लक्ष्य पर डटे रहें। सफलता का यही सूत्र जीवन में हर क़दम पर काम आता है। हम सभी जीवन में कुछ बनना चाहते हैं। कुछ लोगों में तो पढ़ाई की इतनी लगन होती है, जिससे उन्हें ज़िन्दगी में सफलता ज़रूर प्राप्त होती है।

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आज हम आपको ऐसे ही एक पक्के इरादों और पढ़ने की सच्ची लगन वाले यूपीएससी कैंडिडेट के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत से संघर्षों का सामना किया लेकिन कभी उससे हारे नहीं और फलस्वरूप उन्हें कामयाबी मिली।

हम बात कर रहे हैं पीलीभीत, उत्तर प्रदेश के रहने वाले नुरूल हसन के बारे में, जिनका जीवन बेहद ग़रीबी और अभावों के बीच गुजरा पर उन्होंने कभी इसका ग़म नहीं किया, बल्कि पूरी मेहनत से पढ़ाई में लगे रहे और अपनी तक़दीर ख़ुद लिखी। उनके पिताजी एक छोटी-सी नौकरी किया करते थे। जिनकी आमदनी इतनी नहीं होती थी कि उससे घर और सभी बच्चों की ज़रूरतें पूरी की जा सकें।

जैसे तैसे कटौती करके सबको दो वक़्त का खाना और बेसिक शिक्षा ही मिल पाती थी। परन्त बच्चों ने और विशेष तौर पर नुरूल ने तो कभी इन समस्याओं की शिकायत उनके परिवार से नहीं कि बल्कि उन्होंने तो काफ़ी कम आयु से ही घर सम्भालने में मदद करनी शुरू कर दी।

इस तरह से जीवन की परेशानियों को देखते हुए उन्होंने UPSC परीक्षा देकर सिविल सेवाओं में जाने का निश्चय किया, ताकि उनके साथ-साथ अन्य लोगों का भी जीवन सुधर सके। फिर अपने अथक प्रयासों से नुरुल IPS ऑफिसर बने। चलिए जानते हैं उन्होंने सँघर्ष व अभावों के बावजूद सफलता का परचम कैसे लहराया…

नूरुल के पिताजी की बरेली में एक फोर्थ क्लास कर्मचारी के पद पर जॉब लगी थी, उस समय नूरुल दसवीं कक्षा पास कर चुके थे और 11वीं में दाखिला लेने वाले थे। उनके पिता जी की सैलरी बहुत कम थी और परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत खराब थी,

इस वज़ह से उन्हें एक मलिन बस्ती में छोटा-सा घर किराए पर लेकर रहना पड़ा था। फिर वहीं एक पास के विद्यालय में नूरुल ने 11वीं कक्षा में दाखिला लिया और वहीं से 12वीं तक पढ़ाई पूरी की। इसके पश्चात उन्होंने अपने दोस्तों की तरह बीटेक के एंट्रेंस एग्जाम की कोचिंग करने का निश्चय किया, लेकिन कोचिंग के लिए उनके पास पैसे नहीं थे।

कोचिंग जॉइन करने के बाद उनका चयन आईआईटी में तो नहीं हो पाया, परन्तु अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की परीक्षा में पास हो गए। फिर वहाँ से उन्होंने काफ़ी कम फीस में बीटेक पूरा किया। नुरुल अपने एएमयू यूनिवर्सिटी के समय को ज़िन्दगी का काफ़ी महत्त्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं, क्योंकि वहाँ पर रहते हुए ही उन्होंने बोलने, बैठने, सलीकेदार कपड़े पहनने जैसी बातें सीखीं और यहीं पढ़ते हुए उन्हें UPSC एग्जाम देने का भी मन बनाया।

नौकरी के साथ ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) की तैयारी भी शुरू कर दी थी। पहले उन्होंने कोचिंग करने का सोचा लेकिन उसकी फीस बहुत ज़्यादा थी। फिर उन्होंने सेल्फ स्टडी करके ही परीक्षा पास करने का फ़ैसला लिया। इसी बीच ऐसा भी हुआ जब वे इंटरव्यू राउंड तक पहुँचे, लेकिन चयनित नहीं हो पाए।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...