आज हम आपको एक ऐसे ही शख़्स की कहानी बताने जा रहे हैं, जो सिर्फ़ आगे ही नहीं आया। बल्कि अपने स्तर पर बहुत कुछ कर भी रहा है। उसका मानना है कि सरकार की कमियाँ गिनाना तो हम सभी जानते हैं, लेकिन अपनी जिम्मेदारी कोई नहीं निभाना चाहता। आइए जानते हैं कि कौन है वह शख्स और किस तरह से पर्यावरण को बचाने का काम कर रहा है।

इनका नाम है डॉ. दिलीपसिंह सोढ़ा। इनकी उम्र 37 साल है। साल 2015 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद दिलीप सिंह ने UPSC (Union public Service Commission) की परीक्षा देने का फ़ैसला किया। उन्होंने इस परीक्षा के लिए एक-दो साल जमकर मेहनत भी की। लेकिन सिलेक्शन नहीं हुआ।

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ऐसे में मंज़िल भले ही नहीं मिली हो, पर उस दौरान उन्होंने जो कुछ सीखा वह उनके लिए बेहद मददगार साबित हुआ। उन्हें इस दौरान ही समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का भी आभास हुआ। प्रैक्टिस के बाद साल 2019 में उन्होंने ख़ुद का क्लीनिक खोल लिया। इस दौरान उन्होंने सोचा कि वह पैसा कमाने के साथ पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाएंगे।

वह बताते हैं कि सर्दियों में उनका बिजली का बिल कम और गर्मियों में हमेशा ज़्यादा आया करता था। दो महीने में करीब 1000 यूनिट बिजली की खपत होती थी। ऐसे में उन्होंने बिजली ग्रिड पर से निर्भरता कम करने के लिए घर की छत पर 5 किलोवाट (5 kilowatt) का सोलर पैनल लगवा लिया। सोलर पैनल लगवाने के बाद उनके घर बिजली का बिल दस हज़ार से सीधा ‘जीरो’ (Zero) के लगभग पहुँच गया। आज सोलर पैनल से भी उनके घर पहले की तरह एसी, कूलर, पंखा और लाइट जलती है।

सोलर पैनल (Solar Panel) लगवाने के लिए अपने घर बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी की भी मदद लेनी पड़ती है। वह आपके घर में इस तरह का मीटर लगा देते हैं जिससे आप सोलर पैनल के साथ बिजली विभाग से भी आप बिजली ले सकते हैं। इसमें देखा जाता है कि आपके सोलर सिस्टम से कितनी बिजली बनाई गई और आपकी महीने भर में खपत कितनी रही। यदि बिजली कम बनी और आपकी खपत ज़्यादा रही तो आपको बिल देना पड़ेगा। 

सोलर सिस्टम की लागत 1 लाख 65 हज़ार रुपए आई थी। जो कि सरकार की सब्सिडी लेने के बाद आती है। साथ ही इसे लगवाने का 25 हज़ार का अलग से ख़र्चा आता है। लेकिन इसे लगवाने के बाद जिस तरह से उनका बिजली बिल जीरो हो गया है उससे तीन साल में इसकी क़ीमत पूरी अदा हो जाएगी। इस तरह से बिजली बिल कम करने का एक अच्छा विकल्प निकल कर आया है। वह कहते हैं कि हमें सोलर पैनल लगवाने के लिए पहले आसपास दो-तीन कंपनियों से बात कर लेनी चाहिए। 

वैसे तो दिलीप का क्लीनिक (Clinic) घर से सात किलोमीटर दूर है। लेकिन वह इस की परवाह किए बिना सप्ताह में एक दिन कार फ्री डे रखते हैं। इस दिन वह कार की बजाय साइकिल से अपने क्लीनिक तक जाते हैं। उनकी कोशिश है कि आने वाले आठ-दस सालों तक इस नियम को अपनाते रहें। इसी तरह वह अपने जीवन में छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करते हैं.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...