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हर प्राणी अपने जीवन में संघर्ष करता है, चाहे वह इंसान हो, पशु हो या फिर कोई छोटा-सा कीड़ा ही क्यों ना हो। यह गर्भ से शुरू हो जाता है और फिर मृत्यु पर्यंत चलता रहता है। जब हम बड़े होते हैं तो संघर्ष संकटो के रूप बदल जाते है.

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लेकिन ज़िन्दगी में चुनौतियाँ बनी रहती है। संघर्ष जितना बड़ा होगा, सफलता भी उतनी ही बड़ी होगी। कर्म और संघर्ष से ही हम जिन्दादिली के साथ जीते हैं और कामयाबी हासिल करते हैं।

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जब बात महिलाओं की हो तो उनके जीवन में हर क्षेत्र में संघर्ष और चुनौतियाँ होती है लेकिन फिर भी महिलाएँ उन सभी चुनौतियों का सामना करके हर जगह अपना परचम लहरा रही हैं। इसी का उदाहरण प्रस्तुत किया है हरियाणा की पूनम दलाल दहिया ने,

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जिन्होंने अपने जीवन में आने वाली तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी हिम्मत, मेहनत और लगन से कामयाबी हासिल की। वैसे तो यह एक साधारण शिक्षिका ही थीं, लेकिन इन्होंने असाधारण सफलता प्राप्त करके सभी महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

पूनम दलाल एक मध्यमवर्गीय परिवार से सम्बंध रखती है, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) पास करके सिद्ध कर दिया कि इस परीक्षा से बैकग्राउंड का कोई कनेक्शन नहीं होता है। मेहनत से ही आपको सफलता मिल सकती है।

इतना ही नहीं जब वे 9 महीने की प्रेग्नेंट थी उस समय भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और फिर अपनी नवजात बच्ची को छोड़ कर परीक्षा भी देने गईं। इन्होंने पहले टीचर, फिर बैंक PO और उसके बाद UPSC एग्जाम टॉपर जैसी उपलब्धियों को एक-एक करके सीढ़ी दर सीढ़ी प्राप्त किया।

ग्रेजुएशन पूरी करने के पश्चात इन्होंने बहुत से एग्जाम दिए जैसे कि बैंक PO, SSC इत्यादि। उन्होंने इन सभी परीक्षाओं में सफलता भी प्राप्त कर ली लेकिन, उन्होंने SBI PO की जॉब ही स्वीकार की। पूनम कहती हैं कि उनको एक बात का अफ़सोस है कि उस समय उनका मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था, इसलिए उन्हें UPSC एग्जाम देने के लिए वर्ष 2015 तक का समय लग गया।

पूनम जब प्राइमरी स्कूल में पढ़ाया करती थीं, उसी समय उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का निश्चय कर लिया था। उन्होंने SBI में 3 साल तक काम किया, फिर वर्ष 2006 में उन्होंने SSC ग्रेजुएट लेवल परीक्षा में नेशनल लेवल पर 7 वी रैंक प्राप्त करते हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में अपने करियर की शुरुआत की थी।

इस कामयाबी के बाद उनमें UPSC एग्जाम देने की इच्छा और दृढ़ हो गई थी। फिर अगस्त 2015 में उन्होंने UPSC का एग्जाम दिया, उस समय वे 9 माह की प्रेग्नेंट थीं। फिर दिसम्बर माह में उनकी मेन्स की परीक्षा हुई, तब उनका शिशु केवल 3 महीने का ही था।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...